विश्वपति वर्मा-
यह बच्चा विकास भवन बस्ती के इलाको में घूम घूम कर लोगों से कह रहा था बाऊ जी जूता पालिस करवा लो भूख लगी है ,कोई जूता पालिस करवाने वाला नही मिल रहा था बच्चा परेशान था लेकिन शायद लोगों को जूते में पालिस नही लगवाना था।
इसी बीच 7 -8 लोगों का ग्रुप खड़ा होकर बात कर रहा था सभी ने स्पोर्ट जूता पहन रखा था उसी में से एक लोग जूता पहने हुए थे जिसमें पालिस लगाया जा सकता था बच्चे ने कहा बाऊ जी जूता पेंट करवा लो ...
बच्चे को देखकर न चाहते हुए भी उन्होंने जूते में पेंट लगवाने के लिए सोचा उसके बाद उन्होंने बच्चे से स्लीपर चप्पल मांगा तो उसने कहा बाऊ जी हमारे पास स्लीपर नही है हम पैर में ही जूते को पेंट कर देंगे ,आखिर उन्होंने पैर में ही जूता पालिस करवाया ।
उसके बाद मूल्य से ज्यादा पैसा देने के साथ प्राइमरी स्कूल के एक अध्यापक द्वारा जो साथ मे ही खड़े थे बच्चे को फल खिलाया गया उसके बाद वह आगे बढ़ा।
अब यहां सवाल यह नही है कि बच्चे को मूल्य से ज्यादा दाम एक दिन दे दिया गया और बच्चे को फ्रूट जूस खिलाया पिलाया गया।
सवाल यह है कि भारतीय जनता पार्टी गरीबों के लिए जो योजना लाती है वह कहां है, सबका साथ सबका विकास का स्लोगन कहाँ गायब हो गया है ,पढ़ने की उम्र में इस बच्चे को रोजगार की तलाश में निकलना पड़ रहा है इससे यह प्रतीत होता है कि हमारी सरकार अंतिम वर्ग के लोगों को न्याय देने में पूरी तरह से फेल है।
सच तो यह है कि यह सरकार गरीबों को सांप सीढ़ी वाला खेल खेलवा रही है जो बड़ी मेहनत से आगे जाने का प्रयास करते हैं लेकिन 100 नंबर जुटाते जुटाते बीच मे बैठे दर्जनों सांप उसे खा लेते हैं जिसकी वजह से वह हर बार अपने उसी स्थान पर आ जाता है जहां से वह ऊपर चढ़ने का प्रयास करता है। और वह सांप शासन-प्रशासन और नेताओं के चेहरे में बैठे हुए हैं जो स्वयं की जीत और बादशाहत की खातिर ऊपर बढ़ने वाले लोगों को डस रहे हैं।