वाराणसी। ऐसा लग रहा है जैसे पुलिस का डर ही लोगों के जेहन से खत्म हो गया है। शुक्रवार को दिनभर कानपुर एनकाउंटर की ही चर्चा होती रही। शाम में वाराणसी में दुस्साहसिक रूप से सरेराह पुलिस वालों को पीट दिया गया। लंका की सुंदरपुर पुलिस चौकी के प्रभारी दरोगा और सिपाहियों को भाजपा नेता और उनके बेटे व भतीजों ने केवल इसलिए पीट दिया कि मास्क न लगाने पर टोका गया था।
पुलिस वालों के पिटने की सूचना मिलते ही खलबली मच गई। थाने से इंस्पेक्टर के साथ फोर्स के अलावा एसपी सिटी विकासचंद्र त्रिपाठी और सीओ भेलूपुर प्रीति त्रिपाठी भी पहुंचे। भाजपा नेता जिला पंचायत सदस्य सुरेंद्र पटेल और उनके भतीजे बिंदु पटेल को गिरफ्तार कर लिया गया। सात नामजद समेत कई अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।बाकी की तलाश की जा रही है। फुटेज और वीडियो के जरिये अन्य की शिनाख्त कर नामजद किया जाएगा।
शुक्रवार की देर रात एक युवक ने पुलिस को सूचना दी कि सुंदरपुर में काशी विद्यापीठ के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष विकास पटेल व अन्य युवक किसी मुकदमे को लेकर उन पर दबाव बना रहे हैं। इस पर सुंदरपुर के कार्यवाहक चौकी प्रभारी सुनील गौड़ ने फैंटम दस्ते के सिपाही मनोज व अन्य को मौके पर भेजा। पुलिस के मुताबिक वहां सिपाहियों के पहुंचते ही विकास व उसके साथ के लोगों ने अनाप-शनाप बोलना शुरू कर दिया।
उन लोगों ने मास्क नहीं पहना था, इसलिए दूर से ठीक से बात करने के लिए टोका गया। मास्क के लिए टोकना इतना बुरा लगा कि विकास और अन्य ने पुलिस वालों के साथ मारपीट शुरू कर दी। विकास ने अपने पिता सुरेंद्र पटेल को फोन किया। थोड़ी देर में सुरेंद्र 10 से 12 लोगों को साथ लेकर आये और पुलिसकर्मियों से मारपीट शुरू कर दी।
मामले की जानकारी चौकी प्रभारी सुनील गौड़ को हुई तो वह भी पहुंचे। दुस्साहसिक रूप से उनका भी कॉलर पकड़कर धक्कामुक्की और मारपीट शुरू कर दी गई। घटना की खबर लगते ही फोर्स पहुंच गई और भाजपा नेता और उसके बेटे को पकड़ कर थाने लाई। पुलिस के मुताबिक विकास नशे में था। दरोगा की तहरीर पर सुरेंद्र पटेल, विकास पटेल, अशोक पटेल, संतोष पटेल, बिंदु पटेल, गोलू यादव, छीतन राजभर समेत अन्य अज्ञात के खिलाफ मारपीट, सरकारी कार्य में बाधा और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
थाने पर जमे रहे सत्तापक्ष के नेता
भाजपा से जुड़े जिला पंचायत सदस्य के पकड़े जाने के बाद लंका थाने पर सत्ता पक्ष के नेताओं का जमावड़ा लग गया। मुकदमा न दर्ज कर छोड़ने का दबाव बनाया जाने लगा। हालांकि पुलिस अधिकारियों के पहुंचने पर किसी की एक न चली। मामला एसएसपी तक पहुंच गया था। एसएसपी के निर्देश पर मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया। अन्य की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम गठित कर दी गई है।