विश्वपति वर्मा (सौरभ)
बस्ती- जिले का भानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य के एमओआईसी डॉक्टर विवेक विश्वास की मिल रही हैं शिकायतें।यहां तैनात महिला स्वास्थ्य कर्मियों पर डॉक्टर विश्वास चलाते हैं अपना तुगलगी हैं आदेश उत्पीडन का भी लगा आरोप ।
जी हां... सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भानपुर में तैनात एमओआईसी डॉक्टर विवेक विश्वास का अस्पताल आने और जाने का कोई समय नही है इसके अलावा अस्पताल में तैनात महिला कर्मचारियों के साथ शोषण करने का भी आरोप इनके ऊपर लगा है जिसमे आवास खाली करने ,और साधन विहीन इलाकों में महिलाओं की ड्यूटी लगाने सम्बंधित मामला सामने आया है।
यहां पर विश्वसनीय स्रोत से पता चला कि अधीक्षक डाo विश्वास दो महिला स्वास्थ्य कर्मियों से नाराज होकर उनका सरकारी आवास खाली कराना चाहते हैं और इसके लिए बाकायदा पत्र भी उनके द्वारा जारी किया गया है उसकी एक प्रति प्रभारी निरीक्षक सोनहा को इस आशय से प्रेषित किया गया है कि महिला कर्मियों को बल पूर्वक सरकारी आवास से फेंका जा सके । हलांकि उस पत्र पर अभी कोई कार्यवाही नहीं हुई है लेकिन इस मामले का चर्चा आम है ।
इसके अलावा भी अधीक्षक के ऊपर जिम्मेदारी का निर्वहन करने का भी आरोप है
कोरोना वायरस के बढ़ते दौर में जहां अस्पतालों में डॉक्टरों का समय से पहुंचना और जिम्मेदारी का निर्वहन करने की जरूरत है वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भानपुर के एमओआईसी डॉक्टर विश्वास को इससे कुछ लेना देना नही है जिसका परिणाम है कि मरीजों के बोझ के तले दबा हुआ अस्पताल कराह रहा है ।
लगातार मिल रही शिकायतों के बाद कल मीडिया के साथियों के साथ अस्पताल की हकीकत को जानने के लिए 11:30 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भानपुर पहुंचा गया अस्पताल मे डा ०सचिन , डा 0 पीसी यादव ,फूला देवी सहित सभी कर्मचारी मौजूद रहे लेकिन एमओआईसी डाo विवेक विश्वास मौजूद नहीं थे नाम न छापने के शर्त पर लोगों ने बताया कि डाoविश्वास हर दिन 12 बजे आते हैं और 5 बजे चले जाते हैं ।
इसके अलावा इस भीषण गर्मी के दौरान मरीजों के ऊपर लगा इकलौता पंखा भी बंद मिला ,अस्पताल के अगल बगल झाड़ियां और गन्दगियाँ भी दिखाई पड़ी एक मरीज ने बताया कि उसे पेट दर्द है उसे बाहर की दवा लिखी गई एक और महिला मरीज ने बताया कि कई दिन से दाहिने पैर में दर्द है इसकी दवा लेने के लिए आई हुई थी उसकी दवा भी बाहर से लिखी गई है ।इसी तरह अस्पताल परिसर के अंदर बहुत सारी अव्यवस्था देखने को मिली है जो अस्पताल के जिम्मेदारों पर सवाल खड़ा करता है ।
अब सवाल यह है कि क्या यह अस्पताल केवल हाथी दांत की तरह दिखावा है ? क्या सरकार और अस्पताल के पास पेट और पैर दर्द की दवा भी नही है? क्या साफ सफाई की व्यवस्था का कोई इंतजाम यहां नहीं है ? क्या महिला कर्मचारियों के साथ शोषण करने का अधिकार अधीक्षक पर है ? इन सब विसंगतियों पर क्या अधीक्षक का कोई जवाबदेही नही है? ऐसे तमाम सवालों पर जवाबदेही जिम्मदारों को तय करना चाहिए।