उत्तर प्रदेश-बस्ती
ग्राम पंचायत के समग्र एवं समेकित विकास के लिए आये हुए धन में सेंध लगाकर रुधौली के मल्हवार के तत्कालीन सचिव विवेक कुमार को 11 लाख रुपया फर्जी तरीके से निकालने के बाद हुई शिकायतों के संज्ञान के बाद निलंबित कर दिया गया।
सचिव को निलंबित तब किया गया जब वह दोषी पाया गया ,सोचने वाली बात यह है कि जब 2 ग्राम पंचायत में उसने बड़े बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया तो क्या उसके द्वारा अन्य ग्राम पंचायतों में तैनाती के दौरान घोटाला नही किया गया होगा?
इसलिए लिए शासन और प्रशासन को इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि इस तरह से भ्रष्ट लोगों पर आरोप सिद्ध होने के तुरंत बाद उसे सेवा मुक्त कर उसके घर भेज देना चाहिए ऐसा न करना सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा होता है जो भ्रष्टाचार को रोकने में ठोस कदम उठाने के जरा सा भी प्रयास नही करती।
आखिर किसी भ्रष्ट व्यक्ति को निलंबित करने का मतलब ही क्या है जो 4 -6 महीने बाद पूरे तनख्वाह के साथ बहाल होकर वापस आ जायेगा और फिर वही काम करेगा ,क्योंकि जिस भ्रष्ट व्यक्ति को आरोप मुक्त कर बहाल किया जाएगा उसे लाखों के सौदे से गुजरना पड़ेगा वह पैसा कमाने के लिए वह फिर अनैतिक कार्यों में लिप्त होगा जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगना मुश्किल ही नही नामुमकिन है ।
इसलिए सरकार को इस बात पर गंभीरता से विचार करते हुए इस पर बने कानून पर ध्यान देना चाहिए कि किसी भी अधिकारी कर्मचारी या जनप्रतिनिधि पर भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होने के तुरंत बाद उसे बर्खास्त करने के प्रावधान पर जोर देना चाहिए यह देश हित में एक बेहतर कदम होगा ।