विश्वपति वर्मा(सौरभ)
रेप ,बलात्कार और हत्या के बाद हाथ मे मोमबत्ती लेकर न्याय मांगने वाला समाज ढोंगी है , इसे कहने में हमे न तो कोई संकोच है और न ही कोई शक ये वही समाज है जो पहले तो आनंद लेता है और जब कोई मामला गंभीर हो जाता है तब वह बहुत बड़ा सामाजिक चिंतक बन जाता है ,और जगह जगह होने वाले तोड़ फोड़ और धरना प्रदर्शन में शामिल हो जाता है।
आप थोड़ा विचार कीजिये कि जिस निर्दोष निकिता तोमर को हत्या के पहले मुख्य आरोपी तौफीक और रेहान दिनदहाड़े उसे धमका रहे थे उसे गाड़ी में जबरदस्ती बैठाने की कोशिश कर रहे थे क्या उस वक्त आस पास में कोई व्यक्ति मौजूद नही था? क्या किसी ने इस घटना को अपनी आंखों से नही देखा ? क्या स्कूल कालेज की तरफ जाने वाला यह मार्ग सूनसान था या लोगों ने यह मंजर देख कर अपने आप को किनारे कर लिया? इन सवालों का जवाब खुद से मांगिये फिर समझ मे आ जायेगा कि इस समाज की चुप्पी ने तमाम निर्दोषों की जान ले चुका है .
अगर यह समाज वक्त रहते अपने दायित्वों और कर्तव्यों का निर्वहन किया होता तो न जाने कितनी लड़कियों की जान और इज्जत बच जाती .और यदि ऐसे ही परवाहों को दरकिनार किया जाता रहेगा तो जाने कितनी निकिताओं की जान जाती रहेगी।