हाईकोर्ट ने कहा हर नागरिक को है सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करने का अधिकार - तहक़ीकात समाचार

ब्रेकिंग न्यूज़

Post Top Ad

Responsive Ads Here

गुरुवार, 5 नवंबर 2020

हाईकोर्ट ने कहा हर नागरिक को है सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करने का अधिकार

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का कहना है कि लोकतंत्र में हर नागरिक को अपनी राय रखने और सरकार के कामकाज की आलोचना करने का अधिकार है.इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने हालांकि यह भी कहा कि आलोचना सभ्य होनी चाहिए और इस दौरान असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
दरअसल पंजाब के एक शख्स ने फेसबुक लाइव के दौरान लॉकडाउन के दौरान सरकार के कामकाज की कथित तौर पर आलोचना की थी, जिसके बाद उस पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया.जस्टिस सुधीर मित्तल की एकल पीठ ने पंजाब के होशियारपुर के निवासी जसबीर उर्फ जसवीर सिंह की जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की.

 जसबीर के खिलाफ इस साल 14 अप्रैल को दर्ज एफआईआर के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने फेसबुक लाइव के दौरान देश की एकता एवं अखंडता के खिलाफ टिप्पणी की थी. उनके बयानों से देश के सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा. राजद्रोह, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सांप्रदायिक असंतोष पैदा करने के लिए एफआईआर दर्ज की गई.होशियारपुर जिले के टांडा पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 115, 124ए, 153ए, 505(2), 295, 188, 269, 270,271, 506 और महामारी अधिनियम 1897 की धारा तीन एवं आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 के तहत उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया था.जसबीर के वकील जसराज सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता छह महीने से भी अधिक समय से हिरासत में है. छह जुलाई को चार्जशीट पेश की गई थी, लेकिन अभी आरोप तय नहीं किए गए हैं, क्योंकि अभी इस संदर्भ में आदेश पारित नहीं हुआ है.वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला लंबित नहीं है. उनके मुवक्किल की टिप्पणियों से पता चलता है कि उनके बयानों पर राजद्रोह या सांप्रदायिक सौहार्द बाधित करने के आरोप नहीं लगाए जा सकते, इसलिए याचिकाकर्ता को नियमित जमानत दी जा सकती है.इस पर जस्टिस मित्तल ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता लॉकडाउन से नाखुश थे. साथ ही भारत और पंजाब सरकार द्वारा महामारी को प्रबंधित किए जाने को लेकर भी खुश नहीं थे, इसलिए उन्होंने सरकारों के कामकाज की आलोचना की. यकीनन, इस दौरान असंयमित और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया, लेकिन यह सरकार के प्रति असंतोष नहीं जताते और न ही धार्मिक असहमति या सांप्रदायिक रूप से तनाव पैदा करते हैं.

हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि जसबीर को जमानत राशि और निजी मुचलके पर रिहा किया जाना चाहिए, क्योंकि वह छह महीने 14 दिनों से हिरासत में हैं और इस मुकदमे के जल्द समाप्त होने की संभावना नहीं है.

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages