विश्वपति वर्मा (सौरभ)
31 दिसंबर 2020
जनवरी माह की गणना के अनुसार आज वर्ष का अंतिम दिन है . वर्ष 2020 में देश के लोगों को कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा जिसमे प्रमुख तौर पर गरीबी ,बेरोजगारी , शिक्षा की बदहाली ,चिकित्सा और कृषि के क्षेत्र में संसाधनों की कमी के साथ भूख और कुपोषण से निपटने के लिए अपर्याप्त तैयारी सत्ताधारियों की रही है ।
इसी बीच प्राकृतिक आपदाओं ने भी आम आदमी से लेकर धनकुबेरों को अपनी आगोश में ले लिया जिसमे सबसे ज्यादा विनाशकारी रूप उत्तरी पूर्वी राज्यों में आये बाढ़ ने लिया जिसके चलते 1.60 लाख हेक्टेयर फसल पानी में डूब गया 250 से ज्यादा तटबंध टूट गए 170 से ज्यादा ब्रिज बह गए , हजारों जानवर और इंसान बेमौत मारे गए वहीं 1 करोड़ से ज्यादा लोग पानी से घिरकर जैसे तैसे अपनी जिंदगी बचाने में सफल हुए।
वहीं इस बीच एक और महामारी कोविड- 19 ने पूरी दुनिया के लोगों को जंजीरों में बांध दिया आसमान से हवाई जहाज गायब हो गए , ट्रेन के पहिए जाम हो गए ,सड़कों पर सन्नाटा छा गया , फैक्ट्रियां बंद हो गईं , स्कूल कालेज के गेट पर ताला लग गया , मंदिर, मस्जिद ,चर्च और गिरजाघर के भगवानों ने भी इंसान का साथ छोड़ दिया ,इंसानी बस्तियों में भी लोग एक दूसरे से दूर भागने लगे क्योंकि सम्पूर्ण भारत में लॉकडाउन हो गया।
इस दौरान रोजी-रोटी के लिए शहरों में रहने वाले लोग बेबश दिखाई दिए ,तालाबंदी ने सबके पैर बांध दिए , लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित होने लगे जिसके चलते भयावह स्थिति उत्पन्न हुई और लोग अपने घरों को पहुंचने के लिए पैदल ही निकल पड़े। इसी तरहं से साल का सबसे ज्यादा दिन आपदाओं और चुनौतियों का सामना करने में ही निकल गया।
अब वर्ष 2021 का कैलेंडर लोगों के सामने खुलने वाला है जिसमे भी चुनौतियों की कमी नहीं है लेकिन इन सब के बीच देश के लोगों और यहां की सरकारों को उससे निपटने के लिए तैयार रहना ही पड़ेगा।
देश की जनता जहां जैसा भी काम कर रही है वहां वैसा करती रहे मसलन किसान खेती करते रहें ,श्रमिक वर्ग काम करता रहे , प्रशासन अपनी सेवाएं देता रहे वहीं सरकार को प्राथमिकता को ध्यान में रखकर काम करने की आवश्यकता पर बल देने की जरूरत है , जिसमे मुख्य रूप से शिक्षा ,चिकित्सा और कृषि के क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर सुधार के साथ एक अच्छी नियति के साथ नीति बनाकर अत्याधुनिक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने की जरूरत है , रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी ₹300 के साथ उसमें काम के कुछ और बिंदुओं को जोड़ने की जरूरत है उदाहरण स्वरूप मनरेगा योजना के तहत अपनी खेती अपनी मजदूरी , जागरूकता कार्यक्रम , स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने के लिए कूड़ा इक्क्ठा करना , प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को ज्ञान ,विज्ञान ,और समाज से जुड़ी जानकारी देने के लिए योग्य लोगों को जोड़ना आदि ऐसे कुछ कामों पर बल देना चाहिए।
इसके अलवां टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में निवेश करना , प्रत्येक ब्लॉक में कमसेकम एक-एक विश्वविद्यालय की स्थापना करना , कच्चा माल के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में फैक्ट्रियों को लगाना , सरकारी संस्थाओं के कार्यप्रणाली में सुधार की जरूरत पर ध्यान देना चाहिए साथ ही इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि देश में बेबुनियाद कार्यों में धन को बर्बाद करने की प्रथा को बंद कर प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर काम करने पर जोर दिया जाए जिससे देश विकास की ऊंचाइयों को छू सके अन्यथा की स्थिति में एक ही खड़ंजे को हर वर्ष लगाने और उखाड़ने की प्रथा चलती रही तो देश को आर्थिक ,सामाजिक और मानसिक विकास के क्षेत्र में पिछड़ने से कोई रोक नही सकता।