बस्तीः जब रक्षक ही भक्षक बन जाये तो फिर इस देश के लोग न्याय की उम्मीद किससे करें ,ताजा मामला उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की है जहां पर एक महिला ने परसुराम पुर थाने की पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया है।
परसरामुपर थाना क्षेत्र की एक विवाहिता का कहना है कि 24-25 नवम्बर की मध्य रात्रि में तीन गाड़ियों में करीब 15 की संख्या में पुलिस टीम उसके घर के अंदर घुसी और बड़े बेटे को उठा ले गयी।
महिला ने बताया कि उसके द्वारा इस पुलिसिया कार्यवाही का कारण पूछने पर उसके साथ अश्लील हरकत की गयी एवं जातिसूचक गालियों से उसे बेइज्जत किया गया। पीड़िता के मुताबिक आधे घण्टे बाद पुलिस टीम फिर पहुंची और इस बार उसको जबरन उठा ले गयी। इन दोनो कार्यवाहियों में कोई महिला पुलिसकर्मी टीम में शामिल नही थी। थाने में ले जाकर उसे और बेटे को मारा पीटा गया।
महिला का आरोप है कि पूछताछ के दौरान उसे थाने के अंदर बने एक वीआईपी रूम में ले जाया गया जहां थाने के 3 पुलिसकर्मियों द्वारा उसके साथ दरिंदगी को अंजाम दिया और डरा धमकाकर उसकी जुबान बंद कर दी गयी।
महिला ने कहा कि उससे धमकी दिया गया कि जुबान खुली या कहीं शिकायत की तो पूरे परिवार को फर्जी मुकदमे में फंसाकर जीवन बरबाद कर देंगे। डरी सहमी महिला ने कुछ दिनों तक जुबान बंद रखा। पांच छः दिन बाद उसने हिम्मत करके अपने साथ हुई हैवानियत की जानकारी पति को दी जो पति सफाईकर्मी है। उसका कहना है दो बार छापेमारी के बाद दो पुलिसकर्मी पूरी रात उसके घर की छत पर बैठे रहे।
बाद में बेटे को 22 हजार रूपया देकर थाने से छुड़ाया। 07 दिसम्बर को पीड़ित पुलिस कप्तान से मिलने पहुंची लेकिन वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उसे बेइज्जत करके भगा दिया।मजबूर होकर 09 दिसम्बर को पुलिस महानिरीक्षक से मिले और पूरे प्रकरण की जानकारी दी। उन्होने न्याय का भरोसा दिया है।
पीड़ित महिला और उसके पति का कहना है कि उनके साथ अनहोनी हुई है, पुलिस ने अपनी शक्ति का दुरूपयोग कर हैवानियत को अंजाम दिया और डरा धमकाकर जुबान बंद करा दी।
पूरे मामले में परसरामुपर के थानाध्यक्ष का कहना है कि गांव में हुये एक अपहरण मामले में पुलिस ने महिला और उसके बेटे को थाने पर बुलाया था। घर से उठाकर लाने और थाने में उसके साथ रेप के आरोप झूठ व बेबुनियाद हैं। पुलिस कप्तान हेमराज मीणा ने भी खबर को झूठ और बेबुनियाद बताते हुये इसका खण्डन किया है।