ग्राम पंचायत की समीक्षात्मक रिपोर्ट
केoसीo श्रीवास्तव और सुशील कुमार की पड़ताल
विश्वपति वर्मा ( सौरभ)
दस्तावेजों में रह गया शौचालय योजना
ग्राम पंचायत में पहुंचने के बाद हमने सबसे पहले सरकार की सबसे बड़ी और महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन के बारे में जानकारी हासिल किया गांव के दलित बस्ती में पहुंचने के बाद पता चला कि अभी भी गांव के अधिकांश लोगों के पास शौचालय योजना का लाभ नहीं पहुंचा है , गांव के निवासी झगरू ने बताया कि उनके घर पर शौचालय बनाने के लिए प्रधान द्वारा कुछ सामग्री दिया गया था जिससे शौचालय का निर्माण कराया गया है लेकिन अभी तक शौचालय में सीट और उसके गड्ढे पर ढक्कन नहीं लग पाया है जिसके कारण वह शौचालय योजना के उद्देश्य से अभी भी वंचित है ।
उजाले की व्यवस्था ध्वस्त
ग्राम पंचायत में उजाले की व्यवस्था के लिए सरकार द्वारा स्ट्रीट लाइट, सोलर लाइट के माध्यम से गांव में जगमग की व्यवस्था सुनिश्चित कराने की योजना तैयार की गई है , इस योजना के माध्यम से ग्राम पंचायत में सोलर लाइट और स्ट्रीट लाइट तो लगाए गए हैं लेकिन गांव के खंभों पर लगाए गए स्ट्रीट लाइट गुणवत्ता विहीन होने केे नाते जल्द ही खराब हो गए जिसका परिणाम है कि अब गांव में उजाले की व्यवस्थाा के नाम पर पैसा खर्च करने के बाद भी योजना अपने उद्देश्य को प्राप्त्त नहीं कर सका ।
स्वच्छ पेयजल योजना में भी बेईमानी
गांव के लोगों को स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था उपलब्ध हो पाए इसके लिए सरकार द्वारा कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को ग्राम पंचायत में लागू किया जाता है जिसमें से एक सबसे सफल और टिकाऊ संसाधन हैंडपंप है लेकिन ग्राम पंचायत में हैंड पंप की व्यवस्था होने के बाद भी लोगों को स्वच्छ पेयजल से वंचित होना पड़ रहा है क्योंकि ग्राम पंचायत में लगाए गए एक हैंडपंप को बरसों से खोल लिया गया जिसके चलते आसपास के लोगों को दूषित पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है ।
खड़ंजा उखाड़ कर छोड़ा
सरकार की मंशा है कि गांव के लोगों को आवागमन में कोई असुविधा ना हो इसके लिए पंचायती राज और ग्राम विकास के माध्यम से गांव में खड़ंजा , इंटरलॉकिंग आरसीसी इत्यादि सड़कों का निर्माण कराया जाता है लेकिन ग्राम प्रधान गांव में सड़कों को बनवाने की जगह गांव की सड़कों को उखाड़ने में दिलचस्प दिखता है, गांव के लालजी ने बताया कि उनके घर के सामने से पहले से खड़ंजा लगा हुआ था लेकिन ग्राम प्रधान ने हमारे घर के सामने खड़ंजा उखाड़ दिया और जब कई महीनों तक खड़ंजा नहीं लगाया गया तब हमारे द्वारा प्रधान जंग बहादुर से कहा गया कि इसका निर्माण करवा दिया जाए तब प्रधान ने कहा कि मेरी इच्छा होगी तो सड़क बनवा एंगे नहीं तो नहीं बनाएंगे
स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर गोलमाल
स्वच्छ भारत मिशन योजना के नाम पर पूरे देश को साफ सुथरा रखने की बात की जा रही है लेकिन ग्राम पंचायत में इसकी हकीकत क्या है गांव में पहुंचने के बाद ही पता चलता है ,ग्राम पंचायत असुरैना में स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर कूड़ेदान की स्थापना की गई है लेकिन यहां के जिम्मेदार सेक्रेटरी और प्रधान पर सवाल खड़ा होता है कि आखिर जब पूरा गांव कूड़े की ढेर पर टिका है तो कूड़ादान लगाने का क्या औचित्य है, सच तो यह है कि पैसे के बंदरबांट के लिए इस तरह की योजनाओं को गांव में लागू किया जाता है।
स्कूल में इंटरलॉकिंग सड़क बनाने में हुआ घटिया ईंटो का प्रयोग
ग्राम पंचायत में स्थित प्राथमिक विद्यालय में इंटरलॉकिंग सड़क के निर्माण का काम कराया गया है मौके पर पहुंचकर हमने स्कूल में लगाए गए सड़क का जायजा लिया तो पता लगा कि यहां पर घटिया किस्म के सामग्रियों का प्रयोग किया गया है इसके नाते यहां पर लगाए गए सड़क में ईंटों का टूटना शुरू हो गया है जो आने वाले कुछ ही दिनों में टूटकर खत्म हो जाएगा।
ऐसी स्थिति को देखने के बाद सवाल पैदा होता है कि आखिर ग्राम पंचायत में समग्र एवं समेकित विकास की योजनाएं पीछे क्यों रह जाती हैं, क्या जनता उपयोग की वस्तु बनकर रह गई है या फिर जनता के लिए लाई गई योजनाओं का क्रियान्वयन भी ठीक तरह से हो पाएगा ,हम अगली कड़ी में बताएंगे कि आखिर ग्राम पंचायत में कितना पैसा खर्च किया गया और उससे कौन-कौन से उद्देश्यों की पूर्ति हो पाई है आप बने रहें तहकीक़ात समाचार के साथ ।