बस्ती- वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव के विरूद्ध एक साजिश के तहत परसरामुपर थाने में आईपीसी की धारा 389 के तहत मुकदमा दर्ज करये जाने से नाराज पत्रकारों ने आज प्रेस क्लब सभागार में बैठक की। पुलिस के इस कृत्य को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताते हुये पत्रकारों ने कहा किसी भी दशा में उत्पीड़न बर्दाश्त नही किया जायेगा।
अध्यक्षता कर रहे उ.प्र. श्रमजीवी पत्रकार यूनियन (पंजी.) के जिलाध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार दिनेश प्रसाद मिश्रा ने कहा कि बस्ती पुलिस पत्रकारों को अपराधी बनाने में तुली है। साफ सुथरी, इमानदार छबि के निष्पक्ष पत्रकार पुलिस के आंख की किरकिरी बने हुये हैं। ऐसे लोगों की आवाज दबाने के लिये पुलिस हर प्रकार के हथकंडे इस्तेमाल कर रही है। सम्बन्धित मामले में पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने दलित गैगरेप पीड़िता का दर्द अपने समाचार माध्यमों में मजबूत साक्ष्यों के साथ प्रकाशित और प्रसारित किया।
खबर को सज्ञान लेकर मामले की जांच करवाने और दोषियों के खिलाफ कडी कार्यवाही करने की बजाय पुलिस कप्तान ने तुरन्त खबरों को झूठा करार दे दिया। मामले में पुलिस का घटिया चरित्र सामने आया, बदले की भावना से पेरित होकर परसरामुपर पुलिस ने थर्ड पार्टी को उकसाकर पत्रकार अशोक श्रीवास्तव के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज करवा दिया। जबकि वादी की उनसे कोई जान पहचान, मुलाकात या बातवीत नही है। पत्रकार राजप्रकाश ने पुलिस के इस कृत्य की निंदा करते हुये निर्णायक लड़ाई लड़ने को कहा।
व्यापारी नेता आनंद राजपाल ने कहा जनपद में अघोषित इमरजेंसी जैसा माहौल है। निरंकुश हो चुका प्रशासनिक अमला साफ सुथरी छबि के लोगों को बदनाम करने में जुटा है जो जनता की आवाज हैं और पीड़ितों का दर्द उच्चाधिकारियों तक पहुंचाते हैं। मामला पत्रकारों की प्रतिष्ठा से जुड़ा है इसलिये हमे एकजुट होकर लड़ना होगा। बैठक में मौजूद देवेन्द्र पाण्डेय, तबरेज आलम, मनोज सिंह, दिलीप श्रीवास्तव, अनिल श्रीवास्तव, संजय राय, कपीश मिश्रा, बृजवासी लाल शुक्ला, ब्रह्मानंद पाण्डेय, देवानंद पाण्डेय, राजन चौधरी, मो. टीपू, विजय प्रकाश मिश्रा आदि ने पुलिसिया कृत्य की निंदा की।