बस्ती- सरकार द्वारा ग्राम पंचायत के लोगों को उनके ही गांव में कई सारी महत्वाकांक्षी योजना के जरिये सुविधाओं की बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए प्रयत्नशील है लेकिन स्थानीय स्तर पर जिम्मेदार लोगों की उदासीनता के चलते लाखों की योजनाएं मात्र हाथी दांत बनकर रह गई है।
तस्वीर सल्टौआ ब्लॉक के परसा खाल गांव की है जहां पर एक दशक पूर्व गांव के बाहर डॉक्टर अंबेडकर सामुदायिक भवन बनाया गया था लेकिन मौके की तस्वीर देखने के बाद ग्राम पंचायत के प्रधान और संबंधित अधिकारियों पर सवाल खड़ा होता है कि क्या यह योजना मात्र कागजों में लोगों के लिए सुविधाजनक है या फिर लोगों को उसका लाभ मिलेगा।
तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती द्वारा गांव के लोगों को एक जगह पर एकत्रित होकर किसी काम को सम्पन्न करने के उद्देश्य के लिए इस भवन का सौगात दिया गया था लेकिन आज भवन की स्थिति यह है कि न तो यहाँ साफ सफाई है और न ही पहुंचने की सुगम व्यवस्था जिसका परिणाम है कि एक शानदार योजना सरकारी दस्तवेजों में सिमट कर रह गया।