उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव की बड़ी खबर , 24 घंटे के अंदर आरक्षण सूची आने की संभावना - तहक़ीकात समाचार

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गुरुवार, 21 जनवरी 2021

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव की बड़ी खबर , 24 घंटे के अंदर आरक्षण सूची आने की संभावना

उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav) का इंतजार सभी को है. खासकर संभावित उम्मीदवार आरक्षण सूची को लेकर बेचैन हैं. उम्मीद है कि आरक्षण सूची आज या कल जारी की जा सकती है. खबरों की मानें तो ग्राम प्रधानों व ग्राम पंचायत सदस्यों के चुनाव के लिए चक्रानुक्रम आरक्षण लागू करने का काम किया जा सकता है. वहीं बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुख के निर्वाचन क्षेत्रों में आरक्षण में बदलाव होने की उम्मीद है.


आपको बता दें कि साल 2015 में हुए सूबे के त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के मुकाबले इस बार प्रदेश में ग्राम प्रधानों के 880 पद कम हो चुके हैं. उत्तर प्रदेश में विकास खण्डों की संख्या 821 थी जो अब बढ़कर 826 हो चुकी है. यानी क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष यानि ब्लाक प्रमुख के पदों में 5 पदों की बढ़ोतरी हो चुकी है.

साल 2015 में हुए पंचायत चुनाव पर नजर डालें तो प्रदेश में कुल 59074 ग्राम प्रधानों के पद पर चुनाव संपन्न कराये गये थे. लेकिन इस बार हुए संक्षिप्त परिसीमन में 880 ग्राम पंचायतें शहरी क्षेत्र में शामिल किये गये हैं. यही वजह है कि अब प्रदेश में होने जा रहे पंचायत चुनाव में कुल 58194 ग्राम प्रधानों के पद पर ही चुनाव संपन्न कराये जाएंगे. ग्राम पंचायतों की संख्या कम होने के साथ ही ग्राम पंचायतों के वार्ड भी कम हो चुके हैं.

2015 के पंचायत चुनाव की बात करें तो इस साल प्रदेश में कुल 744558 ग्राम पंचायत सदस्यों के पद पर चुनाव कराये गये थे. इस बार यानी 2021 में होने वाले पंचायत चुनाव में 731813 ग्राम पंचायत सदस्यों के पद पर ही चुनाव कराये जाएंगे. उपरोक्त आंकड़े प्रदेश में होने जा रहे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों के तहत पंचायतीराज निदेशालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपने का काम किया है.

आरक्षण सूची का इंतजार क्यों : आपको बता दें कि इस बार उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव के पहले लोग आरक्षण सूची का इंतजार कर रहे हैं. इसकी वजह हम आपको बताते हैं. दरअसल इसी के आधार पर तय होगा कि किस जाति का उम्मीदवार किस गांव में अपनी दावेदारी करने का काम काम करेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि क्योंकि गांव यदि आरक्षण के दायरे में आता है तो सामान्य जाति के लोग वहां से चुनाव लड़ने में सक्षम नहीं होंगे. यदि गांव महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया तो वहां से कोई पुरुष पर्चा नहीं भर सकेगा.

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