विश्वपति वर्मा (सौरभ)
1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था इस हत्याकांड में हजारों निर्दोष लोग मौत के मुंह में समा गए थे , यह आंदोलन भी अंग्रेज द्वारा बनाये गए काले कानून रौलेट एक्ट को रद्द करने के लिए था लेकिन तानाशाह जनरल डायर ने निर्दोष आंदोलनकारियों पर गोलियां चलवा दी थी।
आज 102 साल बाद फिर ठीक उसी तरह की स्थिति का आभास हो रहा है, 2 महीने से 3 कानूनों को खत्म करने के लिए किसान सड़कों पर बैठे हुए हैं लेकिन वर्तमान सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की तानाशाह सरकार किसानों की बातों को मानने के लिए तैयार नहीं है ,वहीं किसानों को आंदोलन से हटाने के लिए तरह-तरह के प्रयोग किये जा रहे हैं ।
किसानों को दिल्ली तक पहुंचने के लिए रोकने के सारे प्रयास किए गए हैं ,बॉर्डर को सील कर दिया गया है बड़े-बड़े पत्थरों और और पुलिस बूथ बनाकर किसानों को घुसने से रोका गया है क्योंकि 26 जनवरी के दिन किसान ट्रैक्टर रैली निकालना चाहते हैं , लेकिन सरकार किसी भी हालात में ट्रैक्टर रैली को सफल होने देना नहीं चाहती है जबकि किसान ट्रैक्टर रैली निकालकर सरकार से यह मांग करने का प्रयास करने की कोशिश में लगे हैं कि उसके द्वारा बनाए गए 3 कानूनों को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।
लेकिन लगता है 26 जनवरी के पहले यह क्रूर और तानाशाह सरकार इन किसानों पर गोली चलवा सकती है , हम चाहते हैं ऐसा ना हो ,होना भी नहीं चाहिए लेकिन वर्तमान सरकार जिस तरह से बर्बरता कर रही है उसे देख कर किसी बात से इनकार भी नही किया जा सकता है।