विश्वपति वर्मा (सौरभ)
पीड़ित गजेंद्र नाथ
मामला बस्ती जनपद के सल्टौआ ब्लाक के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत दसिया का है जहां के निवासी रेलवे से रिटायर चीफ इंजीनियर गजेंद्र नाथ अपने पिता बृजलाल का मृत प्रमाणपत्र लेने के लिए सरकारी दफ्तर गए थे लेकिन हद तो तब हो गई जब सचिव अजय कुमार कनौजिया ने पिता बृजलाल की जगह जिंदा बेटे गजेंद्र नाथ को ही मृत घोषित कर दिया ।
मामले की शिकायत लेकर गजेंद्र नाथ प्रभारी डीएम एवं सीडीओ सरनीत कौर ब्रोका के पास गए और उन्होंने बताया कि उनके पिता की मृत्यु 25 साल पहले हो गई थी लेकिन किसी कारण बस वह अपने पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बनवा पाए थे । उन्होंने बताया कि नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद मृतक प्रमाण पत्र की आवश्यकता पड़ने पर वह सरकारी कार्यलय में सपथ पत्र के साथ मृत्यु प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए अनुरोध किये थे लेकिन ग्राम पंचायत अधिकारी अजय कुमार कनौजिया ने गांव के 14 लोगों से बयान लेकर उन्हें स्वयं को ही मुर्दा बना दिया।
दरअसल पुत्र गजेंद्रनाथ ने अपने पिता के मृत्यु प्रमाण - पत्र की मांग एसडीएम भानपुर से सपथ पत्र के साथ की थी इसपर एसडीएम ने बीडीओ को जांचकर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने को लिखा था । बीडीओ ने एडीओ पंचायत और एडीओ पंचायत ने सेक्रेटरी से रिपोर्ट मांगा । इस पर जो रिपोर्ट सेक्रेटरी ने गांव वालों के बयान को आधार बनाकर लगाया वह काफी चौकाने वाला था ।
सेक्रेटरी ने लिखा कि गजेंद्रनाथ पुत्र बृजलाल की मृत्यु गांव वालों के अनुसार 25 साल पहले हो गई , और इनके मृत होने का कोई अभिलेखीय साक्ष्य नहीं मिल रहा ।
अब जरा अंदाजा लगाइए कि एक नागरिक अगर कागजों में जिंदा रहते मुर्दा घोषित कर दिया , वह भी एक सरकारी सेवक के द्वारा , तो उस व्यक्ति और उसके परिवार पर क्या बीतती होगी । बहरहाल अभी भी साक्ष्य के अभाव में गजेंद्रनाथ को उनके पिता का मृत्यु प्रमाण - पत्र नहीं मिला पाया है अब देखना यह होगा कि गजेंद्र नाथ को अपने पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र लेने और स्वयं को जिंदा बताने के लिए कितने दिनों तक भागदौड़ करना पड़ेगा ।