प्रियांक
तमिलनाडु के कोयम्बटूर के नरीनपुरम की रहने वाली 60 वर्षीया नागलक्ष्मी वर्ष 2016 में अपने पति सेनवग मूर्ति की मृत्यु के बाद विक्षिप्त हो गयीं। उनकी दो बेटियाँ- मंगला चेलवी तथा सत्यप्रिया ही हैं, कोई बेटा नहीं है। नागलक्ष्मी 2017 की गर्मियों में एकाएक घर से गायब हो गयीं।
नागलक्ष्मी के दामाद संतोष, जो कि मजदूरी कर घर का खर्चा निकालते थे, उन्होंने काफी हाथ-पाँव मारे पर अपनी बुजुर्ग सास को ढूंढ न पाये। अंततः थक-हार कर बैठ गये। लगभग साढ़े तीन साल होने को हुए इस घटना को। संतोष मान चुके थे कि अब उनकी सास नागलक्ष्मी हमेशा के लिए या तो लापता हो चुकी हैं अथवा मर चुकी हैं।
परन्तु होनी को कुछ और ही मंजूर था। विक्षिप्त नागलक्ष्मी इधर भटकते हुए ट्रेन से दक्षिण भारत से उत्तर भारत आ पहुँची। उनकी किस्मत उन्हें उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ ले आयी। एक तो विक्षिप्त, दूसरा बुढ़ापा, तीसरा अनजान इलाका एवं चौथा भाषा की समस्या!
2017 के मध्य से लेकर 2020 की शुरुआत तक लगभग ढाई साल वह आज़मगढ़ की सड़कों पर भटकती रहीं। किसी ने कुछ दे दिया तो खा लिया, किसी ने कुछ फटा-चिटा दे दिया तो पहन लिया। वरना कूड़े से ही फेंके गये जूठन को वह खाकर अपने पेट की भूख को शांत करती रहीं। इस दौरान भीषण ठण्ड-बरसात-गर्मी सब वह खुले आसमान में झेलती रहीं।
इस बीच 21 जनवरी 2020 को आज़मगढ़ रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक (DIG) का पदभार सम्भाला सुभाषचंद्र दुबे ने। कुछ ही दिनों के बाद फरवरी महीने में उन्हें उनके सरकारी आवास के बाहर जाती सड़क के किनारे यह बुजुर्ग विक्षिप्त महिला नागलक्ष्मी दिखीं, जो कूड़े के ढेर से अपने लिए खाने का कुछ ढूंढ रही थीं।
यह देख डीआईजी आज़मगढ़ रेंज से रहा न गया। उन्होंने तुरन्त उपर्युक्त महिला के बारे में सारी जानकारी एकत्रित करना शुरू किया। पता चला कि पिछले कुछ वर्षों से यह दक्षिण भारतीय निःशक्त महिला इसी तरह भटक रही आज़मगढ़ में। कुछ भी पूछने पर वह महिला बता ही नहीं पा रही थी भाषागत समस्या के कारण!
इस पर डीआईजी साहेब ने सबसे पहले उक्त बुजुर्ग महिला के रहने, खाने-पीने और कपड़े इत्यादि का इंतजाम एक स्थानीय एनजीओ के माध्यम से करवाया। पर फिर कुछ दिनों बाद डीआईजी साहेब ने देखा कि वह विक्षिप्त महिला उसी तरह सड़क पर फिर भटक रही है!
इस पर जब जानकारी हासिल की उन्होंने तब पता चला कि उक्त विक्षिप्त महिला बार-बार एनजीओ के आश्रय स्थल से बेचैन होकर भाग जा रही थी, उसे रोकने के अथक प्रयास के बावजूद।
इस पर डीआईजी साहेब ने उक्त महिला नागलक्ष्मी के ठहरने, खाने-पीने और कपड़े इत्यादि का इंतजाम इस बार स्थानीय कोतवाली के महिला आवास में करवाया, जहाँ तमाम महिला सिपाही रहती हैं।
इस दौरान डीआईजी आज़मगढ़ रेंज ने लगातार उक्त दक्षिण भारतीय बुजुर्ग महिला के मूल पता को खोजने का प्रयास किया। तमाम संचार साधनों यथा अखबार, सोशल मीडिया इत्यादि के माध्यम से खबर को प्रसारित किया गया, पर नतीजा वही ढाक के तीन पात!
फिर मिले आज़मगढ़ में एक चिकित्सक जो दक्षिण भारत के तमिल भाषा के जानकार थे। उनसे उक्त बुजुर्ग महिला का संवाद कराया गया। महिला से बात कर चिकित्सक महोदय ने इतना तो साफ कर दिया कि महिला दक्षिण भारत में तमिलनाडु की हैं। फिर धीरे-धीरे लगातार प्रयासों के बाद उक्त बुजुर्ग महिला थोड़ा खुली चिकित्सक महोदय से!
एक दिन बातों ही बातों में उक्त बुजुर्ग महिला ने कुछ चेतना लौटने पर आश्चर्यजनक रूप में कुछेक मोबाइल फोन के नम्बर्स लिख दिये, जब बुजुर्ग महिला को अपना नाम-पता लिखने को कागज-कलम दिया गया तो। मतलब अपना नाम या पता न लिख पायीं वह, परन्तु इतने वर्षों बाद भी मोबाइल फोन नम्बर्स याद थे उन्हें! घोर आश्चर्यजनक, किंतु सत्य
फिर क्या था! पुलिस ने डीआईजी आज़मगढ़ रेंज के निर्देशानुसार उन सभी मोबाइल नम्बर्स पर कॉन्टैक्ट किया। सौभाग्य से एक मोबाइल फोन नम्बर पर घण्टी बजने लगी!
उधर से फोन रिसीव किया बुजुर्ग महिला नागलक्ष्मी के दामाद संतोष ने, जो अब उन्हें हमेशा के लिए लापता या मरा हुआ समझ चुके थे। संतोष की खुशी का ठिकाना न रहा। फिर नागलक्ष्मी जी से संतोष की बात करायी गयी एवं अंतिम पुष्टि के लिए वीडियो कॉल। दोनों सास-दामाद एक दूसरे को देख भाव-विह्वल हो गये।
श्रीमान डीआईजी आज़मगढ़ रेंज ने संतोष के कोयम्बटूर से आज़मगढ़ आने की व्यवस्था करायी। संतोष तुरन्त कोयम्बटूर से आज़मगढ़ के लिए निकल पड़े। कल यानी 31 दिसंबर 2020 को आज़मगढ़ पहुँच उन्होंने अपनी सास नागलक्ष्मी जी की पहचान खुद डीआईजी साहेब के समक्ष की।
नागलक्ष्मी के दामाद संतोष आज़मगढ़ पुलिस की इस मानवीय पहल पर भावुक हो उठे। उन्हें जो भरोसा नहीं था, उसे डीआईजी आज़मगढ़ रेंज सुभाषचंद्र दुबे के योग्य व सक्षम नेतृत्व में आज़मगढ़ पुलिस ने कर दिखाया था!
आज यानी 2021 के पहले दिन एक जनवरी को संतोष एवं उनकी सास नागलक्ष्मी के कोयम्बटूर वापस जाने की पूरी व्यवस्था (टिकट, खानपान, ठण्ड से बचने हेतु कपड़े इत्यादि) आज़मगढ़ पुलिस की तरफ से की गयी और गोरखपुर से कोयम्बटूर के लिए ट्रेन पकड़वा कर दोनों को नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ रवाना किया गया।