सौरभ वीपी वर्मा
वो कथित देश भक्त कहाँ गए जो महंगाई बढ़ने भर की आहट से सड़क से लेकर सदन तक में हंगामा करने लगते थे ,शायद 11 दिन तक लगातार ईधनों के दाम बढ़ने की जानकारी इनको अभी तक नही हो पाई ,नही तो महंगाई पर आम आदमी का हवाला देकर हंगामा खड़ा करने वाले लोग सरकार को घेर लिए होते !
आजादी के इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि मीडिया घरानों के दलाल पत्रकार विपक्ष से सवाल पूछ रहे हैं कि महंगाई पर विपक्षी दलों के नेता क्यों नही बोल रहे हैं , यह भी पहली बार देखने को मिल रहा है जब कथित देशप्रेमी सरकार को जिम्मेदार ठहराने के बजाय विपक्ष से ही महंगाई पर सवाल पूछ रहे हैं।
वैसे सवाल पूछने के लिए इनकी क्षमता इतनी मजबूत नही है कि वह कुछ जाहिर कर सकें , इनको बोलने ,चिल्लाने और कुतर्क करने के लिए खुद देश का प्रधानमंत्री ही उकसाता रहता है ,जैसा कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मध्यम वर्ग को ऐसी कठिनाई नहीं होती यदि पिछली सरकारों ने ऊर्जा आयात की निर्भरता पर ध्यान दिया होता. समझ में नही आता कि ऐसे अज्ञानी प्रधानमंत्री को क्या जवाब दिया जाए , जब ये पूरा देश गरीबी ,बेरोजगारी और भ्रष्टाचार में बदलाव लाने के लिए ही तुम्हे मौका दिया है तो पीएम मोदी को जवाबदेही तय करना चाहिए कि 6 साल में आपने क्या बदला है।