सौरभ वीपी वर्मा
बस्ती - नहरों के साफ सफाई और उसके माइनर निर्माण और मरम्मत के नाम पर जनपद भर में जमकर पैसा खर्च किया गया लेकिन अभी तक उसके उद्देश्यों के प्रगति का कोई पता नही चल रहा है।
जनपद में नवंबर 2020 में 292 किलोमीटर नहरों के सिल्ट सफाई सिंचाई विभाग द्वारा कराई जानी थी इसके अलावा 47 किलोमीटर नालों की सफाई मनरेगा के अंतर्गत होना था लेकिन इसमे अधिकतर काम महज कागजों में हुए हैं ।
एक जानकारी के मुताबिक सरयू नहर खंड-4 रुधौली में 63 नहर है जिसकी लंबाई 217 किलोमीटर है उसकी सफाई होनी थी। इसके साथ बस्ती में 15 किलोमीटर की 04 , महादेवा में 34 किलोमीटर की 07 नहर की सफाई की जानी थी इसके अलावा सरयू नहर खंड-3 गोंडा द्वारा कप्तानगंज में 22 किलोमीटर की दो नहरों तथा हरैया में 02 किलोमीटर की एक नहर की सफाई की जानी थी ।
लेकिन वर्तमान में नहरों की जो स्थिति है उसकी समीक्षा करने के बाद पता चलता है कि नहरों के सफाई और उसके माइनर निर्माण और मरम्मत के नाम पर अब तक एक बड़े धन को बंदरबांट किया गया है ।
नहर सफाई के जरिये मनरेगा के मजदूरों को रोजगार देने का जो लक्ष्य और योजना तैयार किया गया था उसपर भी कोई काम नही हुआ ,जिन 47 नहरों में मनरेगा के मजदूरों को काम मिलना था वह भी मशीनों के प्रयोग से दस्तावेज में साफ होकर तैयार हो गया।
वर्तमान समय में नहरों में पानी तो आ गया है लेकिन अभी तक उसका उद्देश्य अस्तित्व में नही आ रहा है।अब देखना यह होगा कि नहर सिंचाई योजना से बहुसंख्यक किसानों को फायदा कब तक मिल पायेगा। फिलहाल सच तो यही है कि नहरों के नाम पर हर साल करोड़ो रुपये का वारा न्यारा हो रहा है और धरातल पर उसकी स्थिति शून्य है।