उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों में जिला पंचायत अध्यक्षों और ब्लॉक प्रमुख के पदों के लिए आरक्षण की सूची पहले ही जारी कर दी गई है, लेकिन ग्राम प्रधान को लेकर यह प्रक्रिया जारी है. जिले स्तर पर जिला पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्य और बीडीसी सदस्यों के पदों पर आरक्षण को लेकर सभी की निगाहें लगी हुई हैं. 30 अप्रैल तक पंचायत चुनाव कराने की डेडलाइन को देखते हुए मार्च के पहले सप्ताह में सरकार बाकी बचे पदों के लिए आरक्षण की सूची जारी कर सकती है.
यूपी में पंचायत चुनाव के आरक्षण को लेकर जिला स्तर पर डीपीआरओ की अगुवाई में जिला पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्य और बीडीसी सदस्यों के आरक्षण की सूची तैयारी की जा रही है. यह सूची मार्च के पहले सप्ताह में जारी कर दी जाएगी ताकि जिला प्रशासन के द्वारा जारी आरक्षण की सूची को लेकर किसी को कोई आपत्ति है तो वो अपनी आपत्ति दर्ज करा सके.
ऐसे में सरकार ने 15 मार्च तक आरक्षण सूची जारी करने की डेड लाइन दे रखी है, जिसके चलते आपत्तियां मांगने के लिए कम से कम 12 से 13 दिन का समय चाहिए. इसलिए माना जा रहा है कि मार्च के पहले ही सप्ताह में जिला प्रशासन आरक्षण सूची जारी कर देगा ताकि लोग अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकें. इसके बाद 15 मार्च को फाइल लिस्ट आएगी, जिसके बाद कोई फेरबदल नहीं हो सकेगा.
यूपी पंचायत चुनाव में सरकार ने आरक्षण के लिए चक्रानुसार प्रकिया अपनाने का फैसला किया है. इसके लिए सरकार ने तय किया है कि सबसे पहले उन सीटों को महत्व दिया जाएगा, जो 1995 के बाद से अभी तक आरक्षण के दायरे में नहीं आई हैं. सूबे में कोई अगर पंचायत साल 1995, 2000, 2005, 2010 और 2015 में रिजर्व कैटेगरी में रही होगी तो उसके इस बार सामान्य होनी की संभावना है. साथ ही अगर कोई सीट सामान्य रही होगी तो अबकी बार वो आरक्षित हो जाएगी. इसमें एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं के लिए आरक्षण होगा