विश्वपति वर्मा ( सौरभ)
निश्चित तौर पर यह सरकार तानाशाही की तरफ बढ़ती हुई दिखाई दे रही है जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था के नाम पर देश की जनता का शोषण दिखाई दे रहा है । देश के इतने बड़े भूभाग में मोदी सरकार ने बर्बरता का जो हस्र किया है ऐसा तो कई दशक पहले होता दिखाई पड़ता था।
आज देश में किसानों की इकलौता समस्या नही है यह देश भुखमरी की चपेट में है जहां 22 करोड़ से अधिक लोग भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं ,देश बेरोजगारी के क्षेत्र में परचम लहरा रहा है जहां पढ़े लिखे लोग मनरेगा में मजदूरी खोज रहे हैं ,देश में शिक्षा और चिकित्सा की रीढ़ पूरी तरह से टूट चुकी है जहां स्कूलों में न तो बुनियादी सुविधाओं का ढांचा तैयार हो रहा है और न ही अस्पतालों में जरूरी संसाधनों की आपूर्ति ।
आखिर हम किस बदलते भारत की तस्वीर देख रहे हैं ? आखिर देश में भविष्य के लिए क्या निर्माण हो रहा है ? निचले तबके में जीवन यापन कर रहे 46 करोड़ से अधिक लोगों की जिंदगी हाशिये पर है जो केवल जिंदा रहने के लिए जीवित हैं । आखिर इस सब चुनौतियों से निपटने के लिए योजना कौन तैयार करेगा ? कौन नीति बनाएगा जिससे समता ,स्वतंत्रता और बंधुता का मजबूत पिलर तैयार होगा।
निश्चित तौर पर इन सब विसंगतियों से बचने के लिए हमारी सरकार को काम करना होगा अन्यथा की स्थिति में देश की बहुसंख्यक आबादी अपना मूल जमीन खोती हुई नजर आ रही है जहां उसे शिक्षा ,चिकित्सा ,भोजन ,पानी आवास के नाम पर जीवन भर संपेरे वाले साँप की पेटी की तरह बांध कर रख दिया जाएगा , और जब जब आवश्यकता पड़ेगी तब मोदी सरकार काला जादू दिखा कर जनता को ठगने का का काम करेगी फिर जनता को क्या मिलने वाला था यह भी उसी सांप की तरह पेटी में बंद हो जाएगा।