लखनऊ - पहले माहवारी के मुद्दे पर सिर्फ लड़कियां, लड़कियों से एवं महिलाएं, महिलाओं से बात करती थी लेकिन सरकार एवं समुदाय के प्रयासों से काफी जागरूकता आयी है।
माहवारी सुरक्षा एवं स्वास्थ्य को लेकर समाज की अग्रणी महिलाओं द्वारा समुदाय की बच्चियों एवं महिलाओं को इससे जुड़ी मिथक से अवगत करा के व्यापक पैमान पर जागरूकता लाने का काम किया जा रहा है।
जागरूकता के इसी कड़ी में राजधानी लखनऊ में इंदिरा नगर के सूगामऊ समुदाय में UNFPA REC फाउंडेशन एवं "यह एक सोच फाउंडेशन " द्वारा संचालित एक बड़े जागरूकता कार्यक्रम के तहत, "माहवारी स्वच्छता व इससे जुड़े मिथकों पर – लाल डॉट (आयोजन) पर सत्र लिया गया
सत्र में करीब 40 महिलाएं शामिल रही जिन्होंने माहवारी से संबंधित मिथक पर चर्चा की व जाना कि माहवारी एक प्राकर्तिक प्रक्रिया है व इसमें साफ़ सफाई व पौष्टिक आहार खाना चाहिए ।
इस मौके पर डॉक्टर राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ की अंग्रेज़ी की प्रोफेसर डॉo अल्का सिंह की विशिष्ट उपस्थिति रही जिन्होंने पूरे सत्र में इंटरनेट के माध्यम से जुड़ कर अपने अनुभव को साझा किया एवं उससे जुड़ी काफी महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।
टीम के एक्सपर्ट द्वारा माहवारी के दौरान रसोई से वंचित रहना ,अचार आदि को न छूना, बाल ना धोना, मंदिर में ना जाना आदि मिथकों पर विस्तार से चर्चा की गई ।
इस मौके पर डॉक्टर राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ के द्वितीय वर्ष के छात्र वैभव गौड़ व उनकी साथी दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की छात्रा आकृति सिंह व लोहिया विधि विश्वविद्यालय में पढ़ रहे आर्यन सिंह ने जाग्रिक कार्यक्रम के अंतर्गत "लाल डॉट" नाम से वैभव व आकृति प्रोजेक्ट चला रहे हैं जिसमें माहवारी से संबंधित जानकारी एवं उससे जुड़े मिथकों को तोड़ना जैसे मुद्दे पर सहज तरीके से संवाद स्थापित कर माहवारी से संबंधित स्वछता एवं गरीबी को चुनौती देने के लिए कपड़े के पैड इस्तेमाल करने जैसे विषयों पर खुलकर चर्चा किया ।
इस मौके पर रचिता ने बहुत ही सहज तरीके से लड़कियों और महिलाओं को माहवारी से जुड़ी विषयों पर जानकारी दी एवं इस मुद्दे पर खुलकर राय रखते हुए जागरूकता पैदा किया।