सौरभ वीपी वर्मा
वैसे आजादी के बाद पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि जिस काम को जनता ,अधिकारी ,कर्मचारी आदि इकाइयों से जुड़े लोग नही चाह रहे हैं उसी काम को सरकार कानून बनाकर सबपर थोपना चाहती है , जिस तरह से 109 दिन हो गया इस देश के किसान धरना प्रदर्शन पर बैठे हुए हैं और सरकार उनकी समस्या को खत्म करने का प्रयास नही कर रही है उसी तरह से देश के बैंकिंग सेक्टर में काम कर रहे बैंककर्मियों के साथ भी सरकार जबरदस्ती अपना कानून लागू करना चाहती है ,जो इस देश के बैंकिंग सेक्टर में काम करने वाला कोई भी बैंककर्मी नही चाहता है। इस को लेकर एक सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि जब इस देश में अन्नदाता और व्यवस्था चलाने वाले लोग सरकार द्वारा थोपी गई कानूनों को नही चाहते हैं तो सरकार आखिर किस कारण से अपनी मनमर्जी को थोप रही है ?
जानिए क्या है मामला
इस देश के 80 फीसदी लोगों को नही पता होगा सोमवार को बैंक क्यों बंद थे लेकिन सच ये है कि बैंक आज भी बंद रहेंगे इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में बैंकिंग सेक्टर के कर्मचारी संगठनों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का एलान किया है इसके चलते सोमवार यानी आज और मंगलवार को देश भर में बैकिंग सेवाएं प्रभावित रहेंगी।
देेेश के नौ यूनियनों के सम्मिलित संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंकिंग यूनियन ने बताया कि बैंकों के लगभग 10 लाख कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल में भाग लेंगे। भारतीय स्टेट बैंक SBI सहित कई सरकारी बैंकों ने अपने ग्राहकों को सूचित किया है कि यदि हड़ताल होती है, तो उनका सामान्य कामकाज शाखाओं और कार्यालयों में प्रभावित हो सकता है।
बैंकों ने यह भी बताया कि वे बैंक शाखाओं और कार्यालयों के सुचारू संचालन के लिये आवश्यक कदम उठा रहे हैं। पिछले महीने पेश किये गये केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार के विनिवेश कार्यक्रम के तहत अगले वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी ।
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ AIBEA के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा कि 4, 9 और 10 मार्च को अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त के साथ हुई बैठकें बेनतीजा रही इसलिए हड़ताल होगी। यूएफबीयू के सदस्यों में ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज के
देेेश के नौ यूनियनों के सम्मिलित संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंकिंग यूनियन ने बताया कि बैंकों के लगभग 10 लाख कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल में भाग लेंगे। भारतीय स्टेट बैंक SBI सहित कई सरकारी बैंकों ने अपने ग्राहकों को सूचित किया है कि यदि हड़ताल होती है, तो उनका सामान्य कामकाज शाखाओं और कार्यालयों में प्रभावित हो सकता है।
बैंकों ने यह भी बताया कि वे बैंक शाखाओं और कार्यालयों के सुचारू संचालन के लिये आवश्यक कदम उठा रहे हैं। पिछले महीने पेश किये गये केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार के विनिवेश कार्यक्रम के तहत अगले वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी ।
एसोसिएशन (एआईबीईए) ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी), नैशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ बैंक इम्प्लॉइज (एनसीबीई), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स असोसिएशन (एआईबीओए) और बैंक इम्प्लॉइज कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईसीआई) आदि शामिल हैं।
इंडियन नैशनल बैंक एम्पलाईज फेडरेशन (आईएनबीईएफ), इंडियन नैशनल बैंक ऑफीसर्स कांग्रेस (आईएनबीओसी), नैशनल आर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) और नेशन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स (एनओबीओ) भी हड़ताल की अपनी में शामिल हैं।
अब जरा आप सोचिए जिस देश मे किसी इकाई को चलाने वाले एक बड़े समूह को सरकार की इस व्यवस्था से दिक्कत है तो आखिर सरकार जबरदस्ती अपनी मनमर्जी क्यों थोपना चाहती है ? सच तो यह है कि कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार सिर झुकाए खड़ी हुई है ।