गरीबी ,बेरोजगारी और कुपोषण से कैसे निपटेगी जाति और धर्म के नाम पर उलझी हुई जनता - तहक़ीकात समाचार

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सोमवार, 15 मार्च 2021

गरीबी ,बेरोजगारी और कुपोषण से कैसे निपटेगी जाति और धर्म के नाम पर उलझी हुई जनता

सौरभ वीपी वर्मा-

इस देश के नेता और सत्ताधारी यहां के नागरिकों को जाति और धर्म के नाम पर उलझा देते हैं , हिन्दू मुस्लिम में दंगा करवा देते हैं ,आपसी भाईचारे में फुटमत करा देते हैं इसी से इनकी राजनीति की दुकान चल और फल फूल रही है , ये जनता भी नेताओं के लॉलीपॉप को चूसकर मस्त है और   बिना चिंता किए आराम की नींद सो जाती है ।

लेकिन इन सबके के बाद भी हम जैसे लोगों को चिंता करना पड़ता है कि आखिर इस देश के उस बड़ी आबादी का क्या होगा जो बदसे बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है , ये अन्नदाता का देश है उसके बाद भी देश में प्रतिदिन औसतन 22 करोड़ लोगों को भूखे पेट सोने के लिए मजबूर होना पड़ता है , ये युवाओं का देश है उसके बाद भी देश के हर जगहों पर बुजुर्गों का कब्जा है ,क्योंकि युवाओं को गर्त में डालने के लिए सरकारों ने समय समय पर मादक पदार्थों को बढ़ावा देने का किया है।
यहां महिला सम्मान की बात गाजे बाजे के साथ होती है लेकिन भारत जैसे देश में महिलाओं की कुल आबादी में से 46 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है जिसकी वजह से हर साल 1 लाख 36 हजार महिलाओं की मौत बच्चा जनने के दौरान हो जाता है और हमारे यहां दूध ,दही ,घी दलिया के नाम पर देश को कुपोषण मुक्त किया जा रहा है।

यहां गरीबी दूर करने की बात हो रही है लेकिन जहां पूर्व की कांग्रेस सरकार ने ₹22 खर्च करने वाले लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर माना था वहीं भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने 16 रुपये 50 पैसे में ही लोगों को अमीर मान लिया है यानी कि एक आदमी दिन भर में 16 रुपये 50 पैसा खर्च करता है तो वह संपन्न व्यक्ति है ।

देश की एक बड़ी आबादी शिक्षा और चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है ,देश में प्राइमरी स्तर की जो शिक्षा है वह लगातार बद से बदतर होती जा रही है यहां से निकलने वाले बच्चे डॉक्टर , इंजीनियर ,आईएएस ,पीसीएस बनने की बात छोड़िए यहां से निकलने वाला बच्चा एक चपरासी के बच्चे से बात करने के लायक भी नहीं बन रहा है और हमारे देश के नेता भारत को विश्व गुरु बनाने की बात कर रहे हैं।

इसी तरह से देश बर्बादी की मुहाने पर खड़ा हुआ है और देश को देश के ही भूरे साहबों और सफेदपोशों द्वारा लूटा जा रहा है , सरकारी योजनाओं के नाम पर आने वाले धन को बंदरबांट करने के लिए यहां का हर जिम्मेदार जगह जगह खड़ा हुआ है ताकि इस देश के विकास के नाम पर आने वाले पैसे से अपना महल खड़ा कर सकें और गरीबों के बच्चों की भूख को खत्म करने वाले पैसे से अपने बच्चों के लिए खिलौना खरीद कर ला सकें ।

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