बता दें कि मंगलवार को ही उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी भी दाखिल की है. इस अर्जी में कहा गया है कि कोर्ट इस याचिका पर कोई भी निर्णय करने से पहले एक बार उनका पक्ष भी जरूर सुने. कैविएट याचिका में प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया है कि जब पंचायत चुनाव को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा तब कोर्ट में सरकार का भी पक्ष सुना जाए.
दरअसल, उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पिछले शनिवार को विशेष अनुमति याचिका यानी एसएलपी दाखिल की गई है. इस याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान उसका पक्ष पूरी तरह नहीं सुना गया.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कुछ दिन पहले ही पुरानी आरक्षण सूची पर रोक लगाते हुए 2015 के आधार पर चुनाव कराने को लेकर फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि साल 2015 को आधार मानते हुए सीटों पर आरक्षण लागू किया जाए.
इसके पूर्व राज्य सरकार ने कहा कि वह साल 2015 को आधार मानकर आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है. ऐसे में उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव से जुड़ी याचिकाओं को लेकर सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं.