बस्तीः राजस्व विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार से कास्तकार परेशान रहते हैं। कहा जाता है राजस्वकर्मी सिर्फ ज़मीनों की तकदीर नही लिखते हैं बल्कि कास्तकारों का नसीब भी लिखते हैं। कागजों में ये ऐसा खेल कर देते हैं कि कोर्ट कचहरी के चक्कर में पड़कर कई पीढ़ियां बरबाद हो जाती हैं लेकिन विवाद जस का तस बना रहता है। लेकिन इस बार जो भ्रष्टाचार सामने आया है उसमें कोई कास्तकार नहीं बल्कि इसके सूत्रधार खुद फंसते नजर आ रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं बस्ती सदर तहसील की। यहां विधि विरूद्ध चयन का लाभ उठाकर करीब 15 वर्षों से कुछ लोग रजिस्ट्रार कानूनगो का वेतन ले रहे हैं जबकि वे लेखपाल हैं और उनका चयन रद किया जा चुका है। यह कहना है मूड़घाट निवासी श्रीमती चित्रा श्रीवास्तव का। चित्रा सदर तहसील में तैनात रजिस्ट्रार कानूनगो देवेन्द्र श्रीवास्तव की पत्नी है। देवेन्द्र संतकबीरनगर से ट्रांसफर होकर यहां आये हैं। एक साल में उनका 6 बार पटल बदला गया और दूसरे विधि विरूद्ध चयन पर 2800 की जगह 4200 ग्रेड पे का मजा ले रहे हैं।
यदि यह चयन वाकई गलत हुआ है तो ऐसे करीब आधा दर्जन लोग जो लेखपाल से राजस्व निरीक्षक बनाये गये हैं वे विभाग को प्रतिमाह 15 से 20 हजार का चूना लगा रहे हैं। हालांकि शिकायतकर्ता चित्रा श्रीवास्तव ने जिलाधिकारी को दिये शिकायती पत्र में फिलहाल 3 ऐसे लोगों का जिक्र किया है। आरोप राजेश मिश्रा, गोपालजी और विजय श्रीवास्तव पर है। बताया जा रहा है कि इनका चयन 13.09.2007 को तत्कालीन जिलाधिकारी सौरभ बाबू ने किया था। बाद में प्रभावित पक्षों और कुछ लेखपालों ने राजस्व परिषद मे प्रत्यावेदन दिया। जिलाधिकारी ने 04.10.2007 को इसे सज्ञान लिया और 29.10.2007 को चयन रद कर दिया।
इसके बाद चयनित लोग पुनः लेखपाल हो गये। प्रभावित होने पर उन्होने उच्च न्यायालय में रिट याचिका 56143/2007 दायर की। 27.07.2010 को रिट याचिका डिसमिस कर दी गयी। आदेश में यह भी कहा गया कि इस संदर्भ में कोई अन्तरिम आदेश हो तो उसे भी डिस्पोज किया जाता है। इसके बाद राजेश मिश्रा, गोपालजी और विजय श्रीवास्तव पुनः लेखपाल हो गये। ऐसा ही मामला देवरिया और कुशीनगर का भी था, वहां अनुचित लाभ ले रहे लोगों को लेखपाल बना दिया गया, लेकिन बस्ती में जो लोग विधि विरूद्ध चयन का लाभ ले रहे हैं वे बेहद प्रभावशाली हैं और कागजों के मामले में माहिर हैं।
साथ ही उसी पटल पर वर्षों से जमे हैं। मामला अण्डर ट्रायल रहते हुये बगैर उच्च न्यायालय की अनुमति के राजेश मिश्रा, गोपालजी और विजय श्रीवास्तव को कानूनगो का प्रशिक्षण भी दिला दिया। शिकायतकर्ता का कहना है कि इनके पटल पर बने रहते हुये मामले का निस्तारण संभव नही है। सच्चाई सामने न आने पाये इसके लिये ये तरह तरह से कागजों में मनमानी किया करते हैं। उन्होने जिलाधिकारी से मांग किया है कि जो लोग विधि विरूद्ध चयन का लाभ लेते हुये कानूनगो का वेतन ले रहे हैं उन्हे तत्काल लेखपाल बनाया जाये जिससे विभाग की क्षति और उनके द्वारा की जा रही मनमानियों को रोका जा सके।
सफाई भी सुनिये
राजेश मिश्रा, गोपालजी और विजय श्रीवास्तव आदि ने उपरोक्त मामले में सफाई देते हुये कहा उनके चयन को लेकर मामला सिंगल बेंच में अण्डर ट्रायल है। सभी औपचारिकतायें पूरी की गयी हैं, विभाग द्वारा प्रशिक्षण दिलाया गया है, मामला परिषद के सज्ञान मे है। फैसला आने के बाद जैसा आदेश होगा उसे अमल में लाया जायेगा। उन्होने कहा शिकायतकर्ता के आरोप बेबुनियाद और निराधार हैं।