सौरभ वीपी वर्मा
आज एक राष्ट्रीय पर्व है जो हर वर्ष 15 अगस्त को ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी पाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है । पिछले कई वर्षों के 15 अगस्त के पर्व पर ध्यान दें तो चहलकदमी दिखाई पड़ता था लेकिन कोविड 19 की पहली लहर के बाद स्वतंत्रता दिवस का पर्व फीका पड़ गया है ।
यह तस्वीर सरकारी विद्यालय की है जहां पर 7 बजकर 8 मिनट तक न तो बच्चे हैं न ही किसी कार्यक्रम की तैयारी । जिस स्कूल में किसी जमाने में 400 से 500 बच्चे नजर आते थे, गांव के बूढ़े नौजवान नजर आते थे आज कोविड19 के नियंत्रण के चलते वहां सन्नाटा पसरा हुआ है।
आज भले ही रविवार है लेकिन 15 अगस्त के दिन स्कूल को बंद करने या सार्वजनिक स्थानों पर जश्न मनाने के लिए कोई भी पाबंदी नहीं है । रविवार का मतलब यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रविवार को साप्ताहिक बंदी का आदेश दिया गया है जो बाजार , स्कूल के साथ हर जगह लागू है ।
फिलहाल 15 अगस्त के दिन ना तो स्कूल को खोलने के लिए कोई आदेश है और न ही बंद करने का।ऐसी स्थिति पर यदि विचार किया जाए तो लगता है सरकार को इन सब से कोई मतलब नहीं है सरकार में बैठे शीर्ष नेता स्वतंत्रता दिवस के नाम पर पूर्व संध्या पर संदेश देकर देश के नागरिकों को बता देंगे कि हम 15 अगस्त के पर्व को बहुत ही राष्ट्रीय भावना की तरह मनाने का काम कर रहे हैं लेकिन सरकार द्वारा ना तो कोई आदेश दिया गया और ना ही कोई गाइडलाइन जारी की गई की स्वतंत्रता दिवस के पर्व को कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पूरी तरह से जश्न के साथ मनाया जाए।
जिस 15 अगस्त के दिन स्कूल में गाना बजाना होता था ,बच्चों में हौसला होता था , बच्चों को सीखने समझने के लिए जानकारी मिलता था आज उस 15 अगस्त के दिन स्कूल में ताला दिखाई पड़ रहा है । स्कूल में 10 -20 बच्चे आ भी गए तो क्या फर्क पड़ने वाला है ना तो उससे बच्चों में ज्ञान विज्ञान का अलख जग पाएगा और ना ही व्यापक पैमाने पर जश्न का कोई कार्यक्रम तैयार हो पाएगा ।
सच तो यह है सरकार स्कूल को पूरी तरह से बर्बाद करना चाहती है ताकि बच्चे और उनका भविष्य भी उसी के हिसाब से चले जैसा कि सरकार सोचती है ।