सौरभ वीपी वर्मा
भले ही भारतीय जनता पार्टी चुनावी सरगर्मी को देखते हुए गरीबों के हित में योजनाओं को लाने की बात कर रही है लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में किसी दल के लिए पूर्ण बहुमत में आना आसान नही होगा ।
403 विधानसभा क्षेत्र वाले उत्तर प्रदेश में 2007 से नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2007 में बसपा से मायावती 2012 में सपा से अखिलेश यादव एवं 2017 में भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार में रही है । इधर भाजपा की तरफ से योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री रहे हैं लेकिन कहानी कुछ नई नही बन पाई है जिससे इन्हें पूर्ण बहुमत के सरकार में आने का मौका मिले। तीनों मुख्यमंत्री के कार्यकाल को देखा जाए तो योगी आदित्यनाथ की सरकार से मायावती और अखिलेश यादव का कार्यकाल बेहतर था फिलहाल यह तो आने वाला वक्त बताएगा कि कार्यों के मूल्यों के आधार पर 2022 में वोट मिलेगा या फिर ध्रुवीकरण होगा।
हालांकि जनता के नब्ज को टटोल कर देखा जाए तो जिस तरह से वोटरों ने 2012 में मायावती को पूर्ण बहुमत में मुख्यमंत्री रहने के बाद 80 एवं 2017 में अखिलेश यादव को पूर्ण बहुमत की सरकार में रहने के बाद 48 सीटों पर समेट दिया था ठीक उसी प्रकार 2022 के चुनाव में भाजपा भी पूर्ण बहुमत से काफी नीचे उतरती हुई दिखाई पड़ रही है।