वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक लखनऊ में शुरू हो गई है। इसमें चार दर्जन से अधिक वस्तुओं पर टैक्स दर की समीक्षा हो सकती है। इसमें कोविड-19 से संबंधित 11 दवाओं पर टैक्स छूट को 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ाने का फैसला भी हो सकता है।
इस बैठक में पेट्रोल और डीजल, प्राकृतिक गैस और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (विमान ईंधन) को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार हो सकता है। बैठक में राज्यों के राजस्व नुकसान पर मुआवजे पर भी चर्चा हो सकती है। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में जीएसटी परिषद से जुड़ी सभी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कॉमन इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल भी लॉन्च हो सकता है।
साथ ही परिषद जोमैटो और स्विगी जैसे ऑनलाइन फूड डिलीवरी एप को रेस्टोरेंट मानते हुए उनके डिलीवरी पर 5 फीसदी जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर विचार कर सकती है। वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर बताया कि सुबह 11 बजे से होने वाली बैठक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों एवं केंद्र सरकार व राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी शामिल होंगे।
जीएसटी के दायरे में आ सकते हैं पेट्रोल-डीजल
एक या एक से अधिक पेट्रोलियम पदार्थों- पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (विमान ईंधन) को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है। केरल हाईकोर्ट की ओर से पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाए जाने के निर्देश के बाद जीएसटी काउंसिल के समक्ष यह मामला 17 सितंबर को लाया जाएगा। जीएसटी काउंसिल ने अभी तक उस तारीख की घोषणा नहीं की है जब से पेट्रोलियम पदार्थों पर जीएसटी लागू होगा। नाम न लेने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि राजस्व को देखते हुए जीएसएटी काउंसिल के उच्च अधिकारी पेट्रोलियम पदार्थों पर एक समान जीएसटी लगाने को तैयार नहीं हैं। दरअसल, वित्तीय वर्ष 2019-20 में पेट्रोलियम पदार्थों से राज्य व केंद्र सरकार को 5.55 लाख करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। इसमें पेट्रोल व डीजल से ही सबसे ज्यादा राजस्व सरकारों को मिला। एक समान जीएसटी से पेट्रोल व डीजल के दामों में भारी कमी आएगी। पेट्रोल पर केंद्र सरकार 32 फीसदी तो राज्य सरकार 23.07 फीसदी टैक्स ले रही है। वहीं डीजल पर केंद्र 35 तो राज्य सरकारें 14 फीसदी से ज्यादा का टैक्स वसूल कर रही हैं।