राकेश चौधरी
बाँसी, सिद्धार्थनगर
जिसकी लाठी उसकी भैंस तो आपने सुनी ही होगी लेकिन इसका जीता जागता उदाहरण देखना हो तो बाँसी तहसील के ग्राम कोल्हुआ खुर्द से छितौना तक हुए धान की फसलों के जलभराव से नुकसान देखकर लगा सकते हैं।
मामला कुछ यूं है बाजारडीह से छितौना के बीच कुछ लोंगो द्वारा मकान बनवा लिया गया है जबकि रोड से नियमानुसार 55 फ़ीट स्थायी निमार्ण अवैध माना जाता है उसे दरकिनार करते हुए एक व्यक्ति जो निकटतम ग्राम पंचायत से वर्तमान प्रधान भी है उसने लोकनिर्माण विभाग के जमीन में अतिक्रमण करके स्थायी धर्मकांटा स्थापित कर दिया साथ ही उनके देखा देखी कई अन्य ने भी मकान बना लिया जिससे पानी का निकास पूरी तरह ठप गयी हो गई और सालों से धान की फसलें बर्बाद होती रहती हैं जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने पूर्व में लिखित शिकायत भी स्थानीय तहसील में दी थी,और पुनः सामूहिक रूप से जनसुनवाई के माध्यम से शिकायत भी दर्ज कराई है लेकिन महीना बीत गया लेकिन कार्यवाही तो दूर कोई झांकने तक नही आया।
जबकि जरा जरा सी बात पर शासन प्रशासन जेसीबी से गरीबों के घर को चंद मिनटों में खंडहर कर देता है लेकिन यहाँ स्थिति ऐसी है कि उक्त दबंग व्यक्ति के आगे प्रशासन भीगी बिल्ली बना दिख रहा और अन्नदाताओं के हाड़तोड़ मेहनत और लागत को दो कौड़ी की हैसियत मानते हुए कार्यवाही के नाम पर खामोश है