सौरभ वीपी वर्मा
भारतीय जनता पार्टी की सरकार और उसके नेता देश में अच्छे दिनों को लाने का वादा किए हुए थे पार्टी ने सबका साथ सबका विकास की बात भी कही और देश में वर्ष 2014 के बाद इन्हीं सब बड़े-बड़े नारों को सुनकर लोगों में जुनून पैदा हुआ और भारतीय जनता पार्टी को केंद्रीय सत्ता से लेकर प्रदेश के कई राज्यों में कुर्सी को सौंप दिया ।
लेकिन यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है कि जहां भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों मजदूरों किसानों के हित की बात कही वहीं निचले पायदान पर खड़े गरीबों का शोषण भारतीय जनता पार्टी की सरकार में जमकर हो रहा है ।
इस देश के निचले तबके का शोषण कहां-कहां हो रहा है उसके बारे में बताना हम ज्यादा मुनासिब नहीं समझते हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार , प्रशासन ,सामाजिक कार्यकर्ता और इस देश के प्रत्येक नागरिकों को यह बात समझना चाहिए कि सरकार जो कह रही है वह करती नहीं है , यह झूठ की बुनियाद पर खड़ी होकर अंतिम वर्ग के लोगों का खून चूसने में लगी हुई है।
मित्रों इस देश में एक एक सबसे कम तनख्वाह वाला पद है जिसका नाम है रसोईया । जिसको पंद्रह सौ रुपया महीना तनख्वाह मिलता है । मात्र 15 सौ रुपए मिलता है ठीक तो बिल्कुल नहीं है क्योंकि 15 सौ रुपए में ना तो किसी का परिवार चल सकता है ना किसी का जीविकोपार्जन हो सकता है , महंगाई की जो मार है इसमें 15 सौ रुपए में घर का तेल और मसाला भी ठीक तरीके से नहीं आ पाएगा लेकिन उससे भी ज्यादा दुख इस बात का है कि 6 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है और रसोइयों को अभी तक तनख्वाह नहीं मिला है । आखिर रसोइयों को तनख्वाह क्यों नहीं मिल रहा है ? क्या मात्र 15 सौ रुपए देने की औकात सरकार के पास अब नहीं रह गई है ? जो सरकार देश के उपक्रमों को बेच रही है जो सरकार देश की संपत्तियों को बेच रही है क्या अब उस सरकार के पास देश के सबसे छोटे कर्मचारी को पैसा देने के लिए खजाने में धन नहीं रह गया है ? अच्छे दिनों की आहट में सवाल तो पैदा होगा ही।