बस्ती जिले के रामनगर विकासखंड के ग्राम पंचायत परसोहिया में विकास कार्यों में मनमानी को लेकर आए दिन मिल रही शिकायतों की पड़ताल में जब डीपीआरओ (जिला पंचायती राज अधिकारी) ने मौके पर जांच की तो लापरवाही सामने आ गई। अधिकारियों ने जिम्मेदारों से जवाब मांगा तो किसी भी सवाल का जवाब नही मिल सका, जिससे अधिकारियों की टीम ने ग्राम पंचायत में बड़े गोलमाल की आशंका व्यक्त करते हुये सेक्रेटरी से संबन्धित विकास कार्यों के अभिलेखों को तलब करने को कहा है।
विकासखंड रामनगर के ग्राम पंचायत परसोहिया में मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों की डीपीआरओ शिवशंकर सिंह ने स्थलीय जांच की तो, जांच के दौरान सामुदायिक शौचालय का निर्माण अधूरा पाया गया। इसके अलावा पंचायत भवन का निर्माण भी पूरा नहीं मिला। साथ ही एक ही सड़क पर अलग-अलग इंटरलाकिंग कार्य दिखाकर भुगतान कराने की भी पोल खुल गई। कार्य अधूरा होने के बावजूद भुगतान करा लिए जाने के मामले में डीपीआरओ ने सेक्रेटरी से पूछताछ की तो वह भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इसके बाद सेक्रेटरी से मामले के सभी अभिलेखों को पेश करने को कहा गया।
परसोहिया ग्राम पंचायत में घोटाले की मिली थी शिकायत
ग्राम पंचायत परसोहिया निवासी अशोक चौधरी ने ग्राम पंचायत में बिना कार्य पूर्ण कराए पूर्व ग्राम प्रधान द्वारा सरकारी धन निकाल कर उसके गबन कर लेने की शिकायत मुख्यमंत्री के यहां की गई थी। शिकायत में ग्राम प्रधान सहित लेखाकार, कम्प्यूटर आपरेटर, रोजगार सेवक, तकनीकी सहायक द्वारा ग्राम पंचायत के विकास के नाम पर सरकारी धन का बंदरबाट करने का आरोप लगाया था।
जांच में मिला सरकारी धन का दुरुपयोग
ग्राम पंचायत के विकास कार्यों में घोटाले के मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा इसका संज्ञान लेते हुए डीएम को मामले की जांच कराए जाने के लिए निर्देशित किया गया। इसके बाद डीएम के निर्देश पर डीपीआरओ ने टीम के साथ पहुंचकर मामले की जांच की। डीपीआरओ द्वारा टीम के साथ की गई स्थलीय जांच में मौके पर शिकायत सही पाई गई। ग्रामीणों ने एक-एक कर ग्राम पंचायत में हुए सरकारी धन के दुरुपयोग को गिनाया। मौके पर सामुदायिक शौचालय का निर्माण और पंचायत भवन तक का निर्माण अधूरा मिला। एक ही सड़क पर कई बार इंटरलाकिंग कार्य दिखा कर भुगतान करना पाया गया।
डीपीआरओ ने बताया कि, “शिकायत की स्थलीय जांच के दौरान खामियां मिली है। प्रथम दृष्टया सरकारी धन के गबन का मामला पाया गया है। इसकी जांच रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। इसे डीएम को सौंपा जाएगा। उनके निर्देश पर मामले में अग्रिम कार्रवाई की जाएगी”।
बस्ती जिले के अन्य ग्राम पंचायतों में भी यही हाल
बस्ती जिले के परसोहिया ग्राम पंचायत के जागरूक ग्रामवासियों ने अपने ग्राम पंचायत में हुई गड़बड़ी के खिलाफ आवाज उठाई और अंतत उन्हें न्याय की उम्मीद मिली। उन्होने इस बात को समझा कि गांव के जनप्रतिनिधि गांव के विकास के लिए होते हैं, विकास कार्यों के लिए मिले सरकारी धन से अपना पेट भरने के लिए नही। इसके लिए वहां के लोगों ने मुख्यमंत्री कार्यालय तक दौड़ लगाई, लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि; अगर जिला स्तरीय अधिकारी ऐसे गंभीर मामलों को स्वयं सज्ञान में लेते तो वह जांच और भ्रष्टाचार की पोल और पहले खुल चुकी होती, और ग्रामवासियों को समय से न्याय मिला चुका होता।
बस्ती जिले के 14 ब्लाकों की कुल 1185 ग्राम पंचायतों से संबन्धित हर समाधान दिवसों और जिले के जनता दर्शन में ऐसे हजारों मामले अधिकारियों के सामने हर रोज आते हैं, जो शायद ग्राम पंचायत परसोहिया के भ्रष्टाचार से भी ज्यादा गंभीर होते हैं, लेकिन फरियादियों द्वारा किए गए शिकायतों पर कितनी प्रभावी कार्यवाही होती है यह आपके सामने है।