सौरभ वीपी वर्मा
लखीमपुर खीरी की घटना में गृह राज्य मंत्री का बेटा मुख्य अभियुक्त है लेकिन मुकदमा दर्ज होने के 5 दिन बाद तक पुलिस अभी तक उसे गिरफ्तार नही कर पाई।
पहला सवाल यूपी पुलिस पर है कि जो पुलिस आरोपी को गिरफ्तार नही कर पाती तो उसके परिजनों के ऊपर दबाव बनाकर या हिरासत में लेकर आरोपी को गिरफ्तार करने की कोशिश करती है , ऐसा तमाम वाकया देखने को मिला है लेकिन पुलिस ने गृह राज्य मंत्री को हिरासत में लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। आखिर क्यों? क्योंकि वह गृह राज्य मंत्री है और पुलिस महकमा उसके दायरे में आती है।
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आप विचार कीजिए कि इतने बड़े घटना में जहां पर 9 लोगों की हत्या हो चुकी है अगर इसमें मुख्य आरोपी कोई आम आदमी होता तो क्या हुआ अभी तक पुलिस की चंगुल से बच पाता ? क्या पुलिस इस तरह से उसे बचाने के लिए प्रयास करती ?
बाबा योगी आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता टीवी पर आकर बेवजह बेबुनियाद तरीके से बताने का काम कर रहे हैं कि कानून सबके लिए एक तरह से काम करता है लेकिन मित्रों यह बात सही नहीं है इस देश में कानून सबके लिए एक तरह काम नहीं कर रहा है आम आदमी के लिए दूसरा कानून है और खास आदमी के लिए दूसरा काम है । आम आदमी की बात आए तो उसका घर कुर्की हो जाएगा लेकिन जब खास आदमी की बात आ जाए तो उसके साथ बचाव पक्ष में सरकार खड़ी रहती है।
फिलहाल देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद उत्तर प्रदेश की पुलिस आशीष मिश्रा को गिरफ्तार कर पाती है या गृह राज्य मंत्री अपने बेटे को सरेंडर करवाते हैं।