पिछले साल हर दिन औसतन 31 बच्चों ने आत्महत्या कर अपनी जान दी. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में 11 हजार 396 बच्चों ने सुसाइड की, जो 2019 की तुलना में 18% और 2018 की तुलना में 21% ज्यादा है. 2019 में देश में 9,613 और 2018 में 9,413 में बच्चों ने आत्महत्या की है.
एनसीआरबी के मुताबिक, 18 साल से कम उम्र के बच्चों में आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह फैमिली प्रॉब्लम्स (4,006), लव अफेयर्स (1,337) और बीमारी (1,327) है.
वहीं एनसीआरबी के आँकड़ों के मुताबिक़ पिछले साल भारत में तकरीबन 1 लाख 53 हज़ार लोगों ने आत्महत्या की, जिसमें से सबसे ज़्यादा तकरीबन 37 हज़ार दिहाड़ी मजदूर थे. जान लेने वालों में सबसे ज़्यादा तमिलनाडु के मज़दूर थे. फिर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और गुजरात के मजदूरों की संख्या है.
आत्महत्या के पीछे का सबसे बड़ा कारण बताया गया कि अधिकतर लोगों ने काम न मिलने और आर्थिक तंगी की वजह से आत्महत्या किया है , वहीं किसानों की फसल बर्बाद होने और कर्ज के तले दबे होने के नाते सर्वाधिक आत्महत्या किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि उसके बाद 18 साल से कम उम्र के बच्चों ने आत्महत्या किया है इसमे सबसे ज्यादा कारण मानसिक तनाव का रहा है ।