सौरभ वीपी वर्मा
गांव और कस्बों से जुड़ने वाली 90 फीसदी सड़कों की हालत गंभीर रूप से खराब है , बड़े बड़े गड्ढे से जहां आये दिन दुर्घटना हो रही है वहीं सड़कों पर उखड़ी गिट्टियों से वाहनों के पहिये पंचर होना आम हो गया है ।
गांवों कस्बों में खोले गए प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर संसाधनों का अभाव है बरसों बीत जाने के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एक्स-रे ,अल्ट्रासाउंड खून ,पेशाब की जांच करने की सुविधा अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाई है दवाओं के नाम पर मात्र कोरम पूरा हो रहा है। लेकिन यह बातें उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनने वाला नहीं है क्योंकि यहां जातिवाद और प्रोपोगंडा की राजनीति शुरू हो गई है।
कोविड 19 के बाद जब से स्थिति सामान्य हुई है प्राइमरी स्कूलों को तो खोल दिया गया लेकिन सरकारी स्कूलों की स्थिति पहले से बदतर हालात में पहुंच गए हैं , स्कूल में अध्यापक तो हो गए हैं। लेकिन संसाधनों और पढ़ने जैसा माहौल न होने से सरकारी स्कूल के बच्चे आज भी आदिवासी समुदाय जैसा दिखने में लग रहे ।
लेकिन इस बात से किसी को कोई चिंता नहीं है कि आखिर हमारे देश के भविष्य और नौनिहालों की हालात बद से बदतर होती क्यों जा रही है। शिक्षा चिकित्सा की बदहाली , रोजगार की कमी , बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचार सब मामलों में भारतीय जनता पार्टी परचम लहरा रही लेकिन सत्ताधारी को कोई चिंता नहीं है । क्योंकि झूठ की बुनियाद पर खड़ी होकर राजनीतिक पार्टियां खासकर भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य की जनता को नाना प्रकार का षड्यंत्र रचकर ठगने में कामयाब है ।
कटाई के बाद खेत से धान बीनते बच्चे ।