सौरभ वीपी वर्मा
बस्ती - जैसे-जैसे 2022 का विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे वैसे राजनीतिक दलों और नेताओं द्वारा वोटों को साधने के लिए नाना प्रकार के कदम उठाए जा रहे हैं । पिछले 2 एपिसोड में हमने आपको बस्ती जनपद के रुधौली एवं सदर विधानसभा के जातीय आंकड़ों के बारे में बताया था आज हम जनपद के कप्तानगंज विधानसभा के जातीय समीकरण एवं आंकड़ों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं । Kaptanganj Assembly constituency in basti कप्तानगंज विधानसभा क्षेत्र में जातीय आंकड़ों की बात करें तो यहां पर सबसे ज्यादा 68150 वोट दलित में चमार का है उसके बाद 67670 वोट पटेल कुर्मी का है। यहां पर ब्राह्मण मतदाता की संख्या 39780 के साथ मुस्लिम वोटों की संख्या 38240 है। विधानसभा में यादव वोटों पर नजर डालें तो यहां पर 24950 यादव मतदाता के साथ 19020 वोट ठाकुर का है।
कप्तानगंज विधानसभा में अन्य पिछड़ी जातियों कि वोटों की बात करें तो निषाद वोटों की संख्या 14125 ,राजभर 13332 के साथ मौर्या वोटों की संख्या 9458 है। विधानसभा में 9323 चौहान , 2485 चौरसिया ,1725 पाल ,2420 लोहार ,1518 बढ़ई , 1990 कुम्हार, 1815 कंहार के साथ बनिया वोटों की संख्या 8545 है।
विधानसभा क्षेत्र में पाल वोटों की बात करें तो इनकी संख्या 1725 के साथ , 2525 कायस्थ(लाला) हेला 500 ,धोबी 5120 , खटिक 5848 ,पासी 980 के साथ अन्य वोटों की संख्या 1713 है ।
कप्तानगंज विधानसभा में प्रतिनिधित्व की बात करें तो यहां से वर्ष 1993 में पहली राम प्रसाद चौधरी समाजवादी पार्टी से विधायक बने थे उसके बाद रामप्रसाद चौधरी सपा छोड़ कर बसपा में शामिल हो गए और एक बार फिर 1996 में विधायक बनें ,उसके बाद राम प्रसाद चौधरी का बसपा से भी मोहभंग हो गया और वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और 2002 में भाजपा से एक बार फिर विधायक बनें । वर्ष 2007 में रामप्रसाद चौधरी ने भाजपा का दामन छोड़ कर बसपा की सदस्यता ली और और विधायक बनने के साथ प्रदेश में कैबिनेट मंत्री भी बनें इस दौरान बहुजन समाज पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनीं थी और मायावती मुख्यमंत्री । वर्ष 2012 में रामप्रसाद चौधरी बसपा के बैनर तले एक बार फिर विधायक बनने में कामयाब हो गए लेकिन वर्ष 2017 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी चन्द्र प्रकाश शुक्ला के सामने 6852 वोटों से चुनाव हार गए ।
2022 का विधानसभा चुनाव आने से पहले रामप्रसाद चौधरी ने बसपा का साथ छोड़ दिया और वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए अब देखना यह होगा कि सपा यहां से किसे उम्मीदवार घोषित करती है और किस पार्टी के नेता के सिर ताजपोशी होगा।