सौरभ वीपी वर्मा
अगर उत्तर प्रदेश एक देश होता तो यह आबादी के हिसाब से दुनिया का सातवां सबसे बड़ा देश होता। उत्तर प्रदेश मौसम के हिसाब से काफी अनुकूल राज्य है , यहां पर सबसे बड़ा वर्ग किसानों का है जो बड़े पैमाने पर फसलों और सब्जियों का उत्पादन करता है । यहां के किसानों के साथ श्रमिकों की बड़ी आबादी देश भर को खाद्यान्न के साथ श्रम देने में भी अव्वल है उसके बाद भी सरकार द्वारा जारी योजनाओं और आर्थिक व्यवस्था में असमानता के चलते 38 फीसदी से ज्यादा आबादी अति गरीबी रेखा में जीवन यापन करने के लिए मजबूर है ।
राज्य में 1 करोड़ 86 लाख बच्चे और महिलाएं कुपोषण के शिकार हैं वहीं 3,98,359 बच्चे अति कुपोषण के शिकार हैं । प्रदेश में 40 लाख से ज्यादा डिग्रीधारी और पढ़े लिखे बेरोजगार हैं । प्रदेश में 48 फीसदी गर्भवती महिलाओं में हिमोग्लबीन की कमी है जिसके चलते हर दिन सैकड़ो महिलाएं प्रसव के दौरान दम तोड़ देती हैं ।
उत्तर प्रदेश के किसानों की बात करें तो योगी आदित्यनाथ की सरकार में किसानों के हालात और खराब हुए हैं प्राकृतिक आपदाओं से तो किसान हर वर्ष बर्बाद होता ही है इधर योगी आदित्यनाथ की गौशाला योजना के नाकामी से किसानों का फसल और भी ज्यादा बर्बाद होने लगा है।
उत्तर प्रदेश के थाना ,ब्लाक ,तहसील ,नगर पालिका ,नगर पंचायत ,कृषि विभाग , स्वास्थ्य विभाग जैसे अनेक कल्याणकारी विभागों एवं संस्थाओं में भ्रष्टाचार का बोलबाला है । जगह जगह प्रदेश के नागरिकों को घूस और रिश्वत देना पड़ रहा है तब जाकर उन्हें छोटी छोटी योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है । आखिर इसमें जवाबदेही किसकी है ? आखिर क्यों इतना बड़ा प्रदेश बदहाली के मुहाने पर खड़ा है ? क्या प्रदेश का मुख्यमंत्री इन सबका जिम्मेदार नही है ? इन सब सवालों का जवाब जनता को चुनावी मौसम में तो पूछना चाहिए।