सौरभ वीपी वर्मा
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार जनहित की योजनाओं को लागू करने एवं स्वास्थ्य ,शिक्षा रोजगार की उपलब्धता सुनिश्चित करने में पूरी तरह से फेल रही है । योगी सरकार ने सत्ता के समर में कूदकर भले ही 22 करोड़ लोगों के लिए बेहतर कल की बात किया था लेकिन धरातल की समीक्षा करने के बाद स्पष्ट है कि सरकार ने जनता को लॉलीपॉप देने के अलावा कुछ नही किया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने गड्ढा मुक्त योजना चलाकर गांव गली की सड़कों की कायाकल्प करने की बात करी थी लेकिन उत्तर प्रदेश के इतिहास में गड्ढा मुक्ति के नाम पर सबसे बड़ा घोटाला लोकनिर्माण विभाग में किया गया ।
जब प्रदेश के युवा डिग्री लेकर रोजगार खोज रहे थे तब योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रदेश भर के सर्वाधिक विभागों को ठेकेदारों के हवाले कर दिया और संविदा भर्ती के नाम पर डिग्री धारकों को दिहाड़ी मजदूर बनाकर छोड़ दिया ।
इंसान के जीवन को बचाने के लिए स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं का ढांचा मजबूत करना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी एवं प्राथमिकता होनी चाहिये लेकिन योगी सरकार ने प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों को हाईटेक बनाने के लिए कोई भी प्रयास नही किया लिहाजा प्रतिदिन हजारों महिलाएं प्रसव पीड़ा और संसाधनों की अभाव में अस्पतालों में दम तोड़ती हुई देखी गई हैं । जो प्रदेश सरकार की नाकामी के अलावा कुछ भी नही है।
किसी देश का विकास शिक्षा के विकास के बगैर संभव नही है लेकिन योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को सुव्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए जहां बजट में कमी कर दिया वहीं प्राइवेट स्कूलों को फलने फूलने एवं जनता की जेब पर बोझ डालने के लिए स्वतंत्र कर दिया । यहां प्रदेश सरकार सबसे ज्यादा फेलियर साबित हुई है ।
किसान देश का अन्नदाता है लेकिन उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए योगी सरकार ने एक पैसे का काम भी नही किया बल्कि उन्हें बर्बाद करने के लिए आवारा पशुओं को गौशाला में पाल कर छोड़ दिया । उत्तर प्रदेश के किसानों का 15 हजार करोड़ रुपये के करीब गन्ना बकाया मिलों पर है लेकिन 14 दिन के अंदर भुगतान दिलाने का ऐलान करने वाली योगी सरकार चलते चलते भी कुछ नही कर पाई । अब आप विचार कीजिये कि सरकार कहां पर सफल है और जनता इनके किस मुद्दे पर विश्वास कर वोट दे ।