सौरभ वीपी वर्मा
उत्तर प्रदेश के 58 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतों में जब स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर घर शौचालय नही बन पाया तब सरकार ने सार्वजनिक शौचालय के माध्यम से गांव को खुले से मुक्त करने की योजना तैयार की लेकिन जिम्मेदार लोगों की निरंकुशता के चलते सार्वजनिक शौचालय के जरिये गांव को खुले में शौच से मुक्त करने की मंशा पर पानी फिर गया।
भ्रष्टाचार का एक ताजा मामला बस्ती सदर विकास खण्ड के बंतला गांव में देखने को मिली है जहां पर लाखों रुपया खर्च करके गांव के लोगों की सुविधाओं के लिए सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करवाया गया लेकिन गांव में बने शौचालय में कमीशनखोरी और बंदरबांट इस कदर किया गया कि शौचालय को एक तरफ बनाया गया दूसरी तरफ वह भरभरा कर गिर गया ।
सार्वजनिक शौचालय बंतला ग्राम पंचायत में बस्ती डुमरियागंज मार्ग के किनारे बनाया गया है । शौचालय देखने के बाद लग रहा है कि यह अभी केवल अधूरा है लेकिन शौचालय के अंदर का दृश्य चौंकाने वाली है । शौचालय के भवन के अंदर जो दीवाल खड़ी की गई वह धँस गई एवं उसी के बगल बनाई गई दूसरी दीवाल भी गिरने के कगार पर पहुंच गई । इसके अलावा शौचालय के भवन निर्माण में भी घटिया किस्म के सामग्री का प्रयोग किया गया जो कभी भी गिर का जमीजोंद हो सकता है।
ऐसी स्थिति को देखते हुए सवाल खड़ा होता है कि आखिर 5 से 7 लाख रुपया खर्च होने के बाद सरकारी योजनाएं क्यों बदहाल हो जा रही हैं ? क्या इस तरह की योजना महज खानापूर्ति के उद्देश्य तक ही सीमित है या फिर इसकी सही उपयोगिता भी धरातल पर दिखाई पड़ेगी ।