भोपाल : कश्मीरी पंडितों को लेकर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) पर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. अब इस फिल्म के निर्माता विवेक रंजन अग्निहोत्री ( Vivek Agnihotri) और मध्य प्रदेश के एक आईएएस अधिकारी नियाज खान के बीच जुबानी जंग सामने आई है. मध्य प्रदेश के आईएएस के अधिकारी ने 'कश्मीर फाइल्स' के निर्माता से भारत में ‘कई राज्यों में मुसलमानों की हत्याओं' पर भी एक फिल्म बनाने की मांग की. नियाज खान (MP IAS Niaz Khan) ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी इंसान है और देश के नागरिक हैं. उन्होंने कहा, फिल्म से हो चुकी 150 करोड़ की कमाई का हवाला दिया और अग्निहोत्री से मांग रखी कि वो इस फिल्म की पूरी कमाई को कश्मीरी पंडितों के बच्चों की शिक्षा और उनके लिए घरों के निर्माण में लगा दें.
आईएएस के इस विवादित बयान पर मध्य प्रदेश के एक मंत्री ने रविवार को कहा कि इस बारे में वह कार्मिक विभाग को पत्र लिख कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे. इस फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने नियाज खान पर पलटवार करते हुए कहा कि आप बताएं कि आप अपनी पुस्तकों की रॉयल्टी एवं आईएएस के अपने ओहदे के रूप में कश्मीरी पंडितों की कितनी मदद की. नियाज खान अब तक सात उपन्यास लिख चुके हैं.
मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग में उप सचिव नियाज खान ने ट्वीट कर कहा था, ‘कश्मीर फाइल्स पंडितों के दर्द को दिखाती है. उन्हें पूरे सम्मान के साथ कश्मीर में महफूज रहने की अनुमति दी जाए. लेकिन फिल्म निर्माता को कई राज्यों में बड़ी तादाद में मुसलमानों की हत्याओं को दिखाने के लिए भी एक फिल्म बनानी चाहिए.” अधिकारी ने कहा कि वह इस मुद्दे पर एक पुस्तक लिखने की योजना भी बना रहे हैं ताकि 'द कश्मीर फाइल्स' जैसी फिल्म की तरह किसी फिल्म निर्माता द्वारा इस पर भी फिल्म बनाई जा सके और अल्पसंख्यकों के दर्द को भारतीयों के सामने लाया जा सके.
आईएएस के इस विवादित बयान पर मध्य प्रदेश के एक मंत्री ने रविवार को कहा कि इस बारे में वह कार्मिक विभाग को पत्र लिख कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे. इस फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने नियाज खान पर पलटवार करते हुए कहा कि आप बताएं कि आप अपनी पुस्तकों की रॉयल्टी एवं आईएएस के अपने ओहदे के रूप में कश्मीरी पंडितों की कितनी मदद की. नियाज खान अब तक सात उपन्यास लिख चुके हैं.
मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग में उप सचिव नियाज खान ने ट्वीट कर कहा था, ‘कश्मीर फाइल्स पंडितों के दर्द को दिखाती है. उन्हें पूरे सम्मान के साथ कश्मीर में महफूज रहने की अनुमति दी जाए. लेकिन फिल्म निर्माता को कई राज्यों में बड़ी तादाद में मुसलमानों की हत्याओं को दिखाने के लिए भी एक फिल्म बनानी चाहिए.” अधिकारी ने कहा कि वह इस मुद्दे पर एक पुस्तक लिखने की योजना भी बना रहे हैं ताकि 'द कश्मीर फाइल्स' जैसी फिल्म की तरह किसी फिल्म निर्माता द्वारा इस पर भी फिल्म बनाई जा सके और अल्पसंख्यकों के दर्द को भारतीयों के सामने लाया जा सके.