सौरभ वीपी वर्मा
गरीबी ,बेरोजगारी और भ्रष्टाचार इस देश का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है लेकिन किसी को भी इस बात की चिंता नही है कि आखिर ऐसी समस्याओं से निदान कैसे पाया जाए । सत्ता एक ऐसा प्लेटफार्म है जिसके जरिये इन समस्याओं का उन्मूलन हो सकता है लेकिन राज्य एवं केंद्रीय सरकारों द्वारा बनाई जा रही एक भी नीतियां काम नही कर रही हैं और आजादी के 7 दशक बाद जब हम अंतरिक्ष में छलांग लगा रहे हैं तब इस देश में 22 करोड़ लोग भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं । 60 फीसदी आबादी आज भी सरकारी राशन के बल पर जिंदा है लेकिन उसके बाद भी कोई ऐसी रणनीति बनाने में सरकार विफल है जिससे देश में आर्थिक क्रांति लाई जा सके ।
हमारा मानना है कि देश में आर्थिक क्रांति लाने के लिए पैसे का विकेंद्रीकरण होना जरूरी है ।जो मुट्ठी भर लोग देश के कुल खजाने का आधा पैसा दबाए एवं कमाए बैठे हुए हैं उनसे 25 फीसदी पैसा जनता के लिए खर्च करने के लिए कानून बनाये जाने की जरूरत है । यदि सरकार इस तरह की योजना पर बल दे तो इस देश में जहाँ गरीबी खत्म होगी वहीं देश में स्वास्थ्य ,शिक्षा ,सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं में सुधार की स्थिति बन जाएगी । लेकिन ऐसा नही होने वाला है क्योंकि हमारे देश का सिस्टम बीमार हो गया है ,उसको कोई दवा भी काम नही कर रहा है , बीमार सिस्टम वेंटिलेटर पर जा चुका है और इसी का दुष्परिणाम है कि देश की बड़ी आबादी बदहाली झेलने के लिए मजबूर है ।