बस्ती: जनपद के बहादुरपुर ब्लाक अंतर्गत गैर-चिरागी गांव ‘महुआ डाबर’ Mahua Davar Basti को आजादी के हीरक जयंती वर्ष में जोशो-खरोश से याद किया जा रहा है। महुआ डाबर की ऐतिहासिक इंकलाबी जमीन की पहचान और उसके साहस को जिंदा रखने के लिए क्रांतिगीत महुआ डाबर को प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने रिलीज किया। इसे लिखा है चीफ पीएमजी रहे कर्नल तिलक राज ने और इसे जोशीले अंदाज में स्वर दिया है 150 भाषाओं में गाने वाले डॉ. गजल श्रीनिवास ने। इस गीत को आजादी का अमृत महोत्सव को समर्पित किया गया है।
क्रांति के स्थल महुआ डाबर में आगामी 10 जून को महुआ डाबर जन- विद्रोह दिवस समारोह का आयोजन भी किया जा रहा है। इसमें सामाजिक-सांस्कृतिक, शैक्षणिक, राजनीतिक आदि तबको के लोग हिस्सेदारी करेंगे। 10 जून, 1857 की आजादी की साझा लड़ाई की गौरवशाली विरासत की याद में महुआ डाबर को रोशन किया जाएगा।
राजधानी में गीत प्रदर्शन के बाद प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने कहा कि सूबे में आजादी योद्धाओं की स्मृति को जिंदा रखने के लिए पुस्तकों के साथ आडियो-वीडियो सामग्री तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा की महुआ डाबर में गौरवशाली स्मारक बनाया जाएगा इसके साथ ही आजादी महानायकों से जुड़े स्थानों पर उनका जीवन चरित्र लगाने से लेकर आजादी फिल्म समारोह भी आयोजित करेंगे। आजादी अमृत महोत्सव वर्ष में जय घोष रेडियो भी शुरू कर रहे हैं जिसके जरिए क्रांतिवीरों की कहानियाँ नई पीढी तक प्रसारित की जायेगी। दो दशक से अधिक समय से भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन पर काम कर रहे लेखक और दस्तावेजी फिल्मकार शाह आलम की सेवाएं ली जाएगी. प्रमुख सचिव ने क्रांतीवीरों को स्मृतियों को संरक्षित करने की लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी दिया।
इस अवसर पर शहीद गेंदालाल दीक्षित के पौत्र डॉ. मधुसूदन दीक्षित, डॉ. रॉबिन वर्मा, धर्मेंद्र कुमार, श्याम प्रताप, आदिल खान, फुल्कित बिंद्रा, रीनू आदि मौजूद रहे.