सौरभ वीपी वर्मा
बस्ती- देश के गांव में समग्र एवं समेकित विकास के लिए सरकार द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष में लाखों करोड़ों रुपए का बजट दिया जाता है ताकि ग्राम पंचायत के लोगों को बेहतर सुविधा मिल सके एवं गांव में पानी निकासी , सड़क मार्ग , स्वच्छ पेयजल आदि की बुनियादी ढांचा मजबूत हो सके लेकिन स्थानीय स्तर पर बढ़ चुके भ्रष्टाचार एवं धन के बंदरबांट के चलते लाखों रुपए का बजट बिना काम कराए डकार लिया जाता है जिससे गांव आज भी अपने पुराने हालातों पर सिसकियां ले रही हैं ।ताजा मामला बस्ती जनपद के गौर विकासखंड के अंतर्गत बेलवरिया जंगल ग्राम पंचायत की है जहां पर गांव के एक शिकायतकर्ता संतोष कुमार वर्मा ने जिला अधिकारी को शपथ पत्र पर शिकायत प्रार्थना पत्र देते हुए बताया कि ग्राम पंचायत में नाली निर्माण एवं सड़क निर्माण पर बिना काम कराए पैसे का भुगतान कर लिया गया है । शिकायत पत्र मिलने के बाद तीन सदस्यीय जांच टीम ग्राम पंचायत में हुए कार्यों की जांच करने के लिए बेलवरिया जंगल गांव में पहुंची जहां पर बिंदुवार कार्यों की जांच शुरू हुई ।
मंगलवार को ग्राम पंचायत में पहुंची जांच टीम ने पाया कि ग्राम पंचायत में महेश चौधरी नाम के व्यक्ति ने अपने निजी जमीन पर अपने पैसे से रास्ता बनवाने का काम किया है जिसपर ग्राम प्रधान और सचिव ने कार्ययोजना तैयार कर पैसे का भुगतान कर लिया उसके बाद ग्राम पंचायत में एक और सड़क को ट्रैक्टर और मशीन से बनाकर उसपर भी भुगतान लिया गया । ग्राम पंचायत में बने 2 पुराने नाली पर प्रधान ने मरम्मत के नाम पर लगभग 4 लाख रुपये का भुगतान ले लिया जिसपर प्रधान द्वारा कोई कार्य नही कराया गया ।इसी प्रकार ग्राम पंचायत में एक सड़क निर्माण के नाम पर मनरेगा से वर्ष 2020-21 में भुगतान लिया गया उसके बाद उसी सड़क पर नाम बदलकर नए वित्तीय वर्ष में पैसे का भुगतान कर लिया गया ।
जांच के दौरान जांच अधिकारी रामानन्द शुक्ल ने सचिव सुधीर सिंह से पूछा कि क्या महेश चौधरी के घर को जाने वाली सड़क का काम ग्राम पंचायत से हुआ है तो सचिव ने कहा नही । उसके बाद भी पैसे का भुगतान कैसे हो गया इस बात का जवाब सचिव द्वारा नही दिया गया ।
जांच पूरी करने के बाद खंड विकास अधिकारी केदारनाथ कुशवाहा ने बताया कि अभिलेखों की जांच करने के बाद जांच रिपोर्ट के बारे बताया जाएगा लेकिन 4 दिन बीत जाने के बाद जब खंड विकास अधिकारी से जांच की रिपोर्ट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने गोलमोल जवाब दिया । इससे ऐसा प्रतीत होता है कि ग्राम पंचायत में हुए धन के बंदरबांट की फाइल को एक बार फिर से दबा दिया जाएगा ।