सौरभ वीपी वर्मा
बस्ती- गांव के समग्र एवं समेकित विकास के लिए सरकार द्वारा पंचायती राज विभाग , ग्राम विकास एवं मनरेगा के जरिए करोड़ों रुपए का बजट दिया जाता है ताकि गांव के बदहाली को कम करके वहां पर बुनियादी सुविधाओं का ढांचा तैयार किया जा सके । लेकिन स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों की उदासीनता एवं भ्रष्टाचार के चलते आज भी ऐसे भी गांव हैं जहां पर बुनियादी सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रुपया तो खर्च कर दिया गया लेकिन गांव आज भी अंतिम पंक्ति में खड़ा हुआ दिखाई दे रहा है।
सार्वजनिक शौचालय में आज तक नही लग पाया सीट
स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर सरकार ने भले ही अरबों रुपए का बजट खर्च कर दिया है लेकिन स्थानीय स्तर पर झूठ और लूट के चलते योजना केवल धूल फांक रही है । हमारी पड़ताल में पता चला है कि ग्राम पंचायत में सार्वजनिक शौचालय बना कर बाहर से रंग पेंट कर दिया गया लेकिन अंदर की तस्वीर हैरान करने वाली है । गांव को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए सरकार द्वारा सार्वजनिक शौचालय का निर्माण तो करवाया गया लेकिन शौचालय का भवन खड़ा करके उसका उद्घाटन कर दिया गया परंतु शौचालय के अंदर अभी तक सीट भी नही लग पाया है जिससे योजना हाथी दांत साबित हो रही है ।
व्यक्तिगत शौचालय के नाम पर जमकर घोटाला
सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर अभियान चलाकर गांव के लोगों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए घर-घर शौचालय बनवाने के लिए ₹12000 का लाभांश दिया गया लेकिन ग्राम पंचायत में प्रधान द्वारा शौचालय को ठेका देकर बनवाया गया जिसपर घटिया निर्माण होने की वजह से गांव की 70 फीसदी आबादी इस वक्त शौचालय योजना से वंचित हो गई जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर लोग खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं ।
गंदगियों की ढेर पर टिका पूरा गांव
एक तरफ देश भर में स्वच्छ भारत मिशन के जरिये गांवों को साफ सुथरा बनाने की बात हो रही है वहीं इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा सफाई कर्मी किट ,डस्टबिन , प्लास्टिक संग्रह केंद्र आदि कार्यों के लिए ग्राम पंचायत को पैसा खर्च करने की छूट दे रखी है लेकिन लाखों रुपया खर्च करने के बाद पूरे गांव में जगह जगह गंदगियों का ढेर लगा हुआ है , यहां तक कि गांव की सड़कों को शौच के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है ।
ग्राम पंचायत में मनरेगा के जरिए भूमि विकास के नाम पर जमकर सेंधमारी की गई है , मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीणों को रोजगार देना है लेकिन ग्राम पंचायत के प्रधान ने ट्राली ट्रैक्टर का प्रयोग कर पंचायत भवन के पीछे एवं कब्रिस्तान में मिट्टी पाटने का काम किया उसके बाद मनरेगा द्वारा भूमि विकास का कार्य बता कर लाखों रुपये का गोलमाल कर लिया गया ।
पानी निकासी की व्यवस्था नही , जल जमाव का संकट
ग्राम पंचायत से पानी निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित हो इसके लिए सरकार नाली निर्माण और सोख्ता निर्माण के लिए बजट बनाती है लेकिन ग्राम प्रधान की उदासीनता के चलते ग्राम पंचायत में आज तक पानी निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित नही हो पाई जिसके चलते गांव के अधिकतर घरों के सामने जल जमाव की विकट समस्या बनी हुई है ।
स्वच्छ पेय जल का संकट
ग्राम पंचायत के लोगों के लिए स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था हो पाए इसके लिए सरकार द्वारा हैंडपंप एवं जल के अन्य संसाधनों पर पैसा खर्च किया जाता है । लेकिन ग्राम पंचायत में हैंडपंप मरम्मत और निर्माण के नाम पर लाखों रुपया खर्च करने के बाद भी ग्राम पंचायत के लोगों को स्वच्छ पेयजल नहीं मिल पा रहा है । गांव में दलित बस्ती के सामने लगा एक हैंडपंप गड्ढे में दबा हुआ है इस तस्वीर को देखने के बाद ऐसा लगता है कि स्वच्छ पेयजल के लिए हैंडपंप मरम्मत एवं रिबोर के नाम पर लाखों रुपये का भुगतान तो लिया गया लेकिन बंदरबांट और भ्रष्टाचार ने स्वच्छ पेय जल की व्यवस्था ने दम तोड़ दिया ।
आदिमानव का गांव लगता है बंजारा पुरवा
गांव में बसने वाले सभी वर्ग के लोगों को मूलधारा में लाने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाओं पर काम किया जा रहा है लेकिन विकास खंड रामनगर के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मझौआ राम प्रसाद एक ऐसा गांव है जो हर मामले में फिसड्डी साबित हुआ है । ग्राम पंचायत में 14 घर का एक बंजारा पुरवा है जहां पर एक भी घर में शौचालय की व्यवस्था नही है ,पूरे गांव में गंदगी एवं जलजमाव का जमावड़ा है , शिक्षा यहां से कोसों दूर है ,सरकारी योजनाओं की पहुंच नाम मात्र भर है जिसकी वजह से आज पूरे गांव में पिछड़ेपन का एहसास हो रहा है ।
इस संबंध में खंड विकास अधिकारी सुशील कुमार पाण्डेय से बात हुई तो उन्होंने कहा कि सरकार की सभी महत्वकांक्षी योजनाओं को गांव में ठोस तरीके से लागू करना है । उसके बाद भी यदि ग्राम पंचायत में इस तरह की समस्याएं हैं तो अक्षम्य है । खंड विकास अधिकारी ने कहा कि टीम गठित कर इसकी जांच कर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी