स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले राजस्थान के जालोर से भयावह खबर आई। सुर्खी थी- 'राजस्थान में टीचर की पिटाई से हुई दलित छात्र की मौत'। आरोप था कि 9 वर्षीय दलित छात्र इंद्र मेघवाल ने सवर्ण जाति के स्कूल टीचर के घड़े से पानी पी लिया था, जिससे गुस्साए टीचर ने मासूम छात्र को इतनी बेरहमी से पीटा कि कुछ दिन बाद अस्पताल में छात्र की मौत हो गई।
सायला थाना क्षेत्र के सुराणा गांव के प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले इंद्र मेघवाल की 20 जुलाई को शिक्षक ने पिटाई की थी। उसकी शनिवार (13 अगस्त) को अहमदाबाद के एक अस्पताल में मौत हो गई। आरोपी शिक्षक छैल सिंह (40) को गिरफ्तार कर लिया गया है। स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर ऐसी खबर आने से आक्रोश और बढ़ गया। विपक्षी दलों ने राजस्थान में राष्ट्रपति शासन तक लगाने की मांग कर डाली।
इंद्रकुमार के साथ पढ़ने वाले उसके भाई ने बताया कि टीचर ने पिटाई मटकी छूने के कारण की। पिटाई के बाद बच्चे के कान से खून निकल गया, जिसकी जानकारी मिलने के बाद परिजनों ने मेडिकल से बच्चे को दवाई दिलवा दी, लेकिन तकलीफ बढ़ती गई और इलाज के दौरान 13 अगस्त को अहमदाबाद के एक अस्पताल में मौत हो गई।
अहमदाबाद सिविल अस्पताल के एक डॉक्टर जिन्होंने इंद्र कुमार के मामले को देखा था, उन्होंने बताया कि बच्चे को 11 अगस्त को अस्पताल लाया गया था और 13 अगस्त को उसकी मौत हो गई। डॉक्टर ने कहा कि मौत की असल वजह का अभी पता नहीं चल पाया है।
राजस्थान की घटना पर आक्रोश ठंडा भी नहीं पड़ा था कि उत्तर प्रदेश से एक और खौफनाक रिपोर्ट आ गई। आरोप है कि श्रावस्ती के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले 13 वर्षीय दलित छात्र को फीस ने भर पाने के लिए बुरी तरह पीटा। छात्र की हालत खराब होने पर परिजनों ने अस्पताल में भर्ती कराया जहां शुक्रवार को उसकी मौत हो गई। मृतक बृजेश विश्वकर्मा कक्षा 3 का छात्र था।
पहले मारा-पीटा, फिर धमकाया
थानाक्षेत्र सिरसिया में पंडित ब्रह्मदत्त उच्चतर माध्यमिक विद्यालय है। यहां पर पढ़ रहे बृजेश विश्वकर्मा को अनुपम पाठक नाम के अध्यापक ने थप्पड़ व डंडे से बेरहमी से पीटा था। रिपोर्ट्स के अनुसार, मासूम छात्र वहीं पर बेहोश हो गया। कुछ देर बाद होश आने पर स्कूल के प्रिंसिपल और आरोपी अध्यापक ने मासूम बच्चे को धमकाया भी कि अगर तुमने किसी को कुछ कहा तो तुमको इससे ज्यादा मारा जाएगा। बाद में उसे घर भेज दिया गया।
छात्र ने घरवालों को आपबीती सुनाई। कुछ घंटों बाद बदन में तेज दर्द उठा तो जिला अस्पताल पहुंचाया गया। वहां से बहराइच रेफर कर दिया। वहीं इलाज के दौरान छात्र की मौत हो गई। सोशल मीडिया पर राजनीतिक दलों ने मामले को मुद्दा बना दिया है। एक वायरल वीडियो में परिवार का सदस्य कहा रहा है कि महज 250 रूपये फीस के लिए टीचर ने बच्चे को पीट-पीटकर मार डाला।
यूपी के अलावा मध्य प्रदेश से भी दलित स्टूडेंट संग बर्बर व्यवहार की खबर है। यहां के सिंगरौली जिले से एक सरकारी स्कूल की महिला टीचर पर केस दर्ज हुआ है। मुकदमे के अनुसार, सवर्ण टीचर ने दलित स्टूडेंट को बुरी तरह पीटा। पीड़िता की गलती केवल इतनी थी कि वह क्लास में सबसे आगे वाली सीट पर बैठ गई। इसपर जागृति सिंह नाम की टीचर का गुस्सा भड़क गया और उसने छात्रा को बेहोश होने तक पीटा। करीब दो घंटे बेसुध रही। उसी हाल में परिजन अस्पताल ले गए।
परिजनों व अन्य छात्राओं का कहना है कि सिंह का व्यवहार हमेशा से ऐसा ही रहा है। वह छात्राओं के साथ गाली-गलौज और मारपीट करती रही है। कई छात्राओं ने इसकी शिकायत कलेक्टर से की। डीएम ने जांच बैठाई और रिपोर्ट आने के बाद सिंह के खिलाफ SC/ST एक्ट व अन्य धाराओं में केस दर्ज करने का आदेश दिया
भारत को स्वतंत्र हुए 75 साल हो चुके हैं। हमारा संविधान कहता है कि सभी नागरिक बराबर है। जाति, धर्म, लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं कर सकते। 75 साल गुजर जाने के बावजूद संविधान में लिखी यह बात केवल कागजी मालूम होती है। 21वीं सदी में ऐसी घटनाएं होना इस बात का सबूत है कि भले ही अगले कुछ सालों में आर्थिक रूप से विकसित हो जाएं, एक समाज के रूप में हमें अभी लंबा सफर तय करना है।