सौरभ वीपी वर्मा
15 अगस्त 2022 को देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुए 75 वर्ष हो जाएगा ,ऐसे अवसर को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार और प्रांतीय सरकारों द्वारा बड़े पैमाने पर जश्न और उत्सव का आयोजन किया गया है लेकिन हमें लगता है कि यह उत्सव महत्सव मनाना और मनाने के लिए बाध्य करना बेमानी है ।
यह वही वर्ष होगा जब मोदी सरकार के दावे के हिसाब से किसानों की आय में वृद्धि होगी ,यह वही वर्ष होगा जब हर सिर पर छत होने की बात कही गई थी लेकिन सरकार के 7 साल बीत जाने के बाद किसानों और गरीबों के हित में ऐसी कोई ठोस योजना लागू नही की गई जिससे उनके जीवन में मूलचूल सुधार हो पाया हो । आज जब बड़े पैमाने पर तिरंगा यात्रा का आयोजन किया जा रहा है तब देखने को मिल रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों के आर्थिक स्थिति बद से बदतर हालात में पहुंच चुकी है ,महंगाई ने आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों की कमर को तोड़ दिया है अरहर दाल और सरसो तेल की जगह एक बड़ी आबादी हरी और बीमार करने वाली दाल एवं केमिकल निर्मित तेल खाने को मजबूर है । खाद्य सुरक्षा की दावे के बीच देश में 23 करोड़ लोग भुखमरी की चपेट में हैं लेकिन सरकार द्वारा इन समस्याओं के समाधान कके लिए किसी पप्रकार के उत्सव महोत्सव का आयोजन नही किया गया ।
देश में जिस तरह से आर्थिक तंगी छाई हुई है इसका अंदाजा केंद्र बैठी सरकार को होने के बाद भी वह बेबुनियाद मुद्दों पर धन की बर्बादी कर रही है जबकि सरकार को चाहिए कि वह अपने नागरिकों को स्वास्थ्य ,शिक्षा ,भोजन ,पानी एवं आवास की उपलब्धता 100 फीसदी सुनिश्चित करे । लेकिन यहां पर देखने को मिल रहा है कि यह पांचों मूलभूत आवश्यकताओं से करोड़ो की आबादी वंचित है । 15 अगस्त का पर्व हम जैसे भी मनाते थे बेहतर ही मनाते थे लेकिन इस बार राष्ट्र के नाम पर ढिंढोरा पीट कर सरकार ने जनता को मूर्ख बनाने का जितना बड़ा षणयंत्र तैयार किया है यह कोई बौद्धिक संपदा का व्यक्ति ही समझ पायेगा । खैर आजादी के 75 वें वर्षगांठ पर हम उम्मीद करते हैं कि सरकार गरीबी ,बेरोजगारी एवं महंगाई को कम करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए अन्यथा आजादी के अमृत महोत्सव का कोई अर्थ नही रहेगा ।