बस्ती- कूड़ेदान के नाम पर खर्च हो गया करोड़ो रुपया , नतीजा शून्य -ग्राउंड जीरो रिपोर्ट - तहक़ीकात समाचार

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शुक्रवार, 30 सितंबर 2022

बस्ती- कूड़ेदान के नाम पर खर्च हो गया करोड़ो रुपया , नतीजा शून्य -ग्राउंड जीरो रिपोर्ट

सौरभ वीपी वर्मा

सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर इस देश में  करीब 2 लाख करोड़ रुपया खर्च किया गया है , जिसमें हर घर में शौचालय बनवाने गांव एवं शहरों को साफ सुथरा रखने के लिए कूड़ेदान इत्यादि की व्यवस्था के लिए बजट दिया गया लेकिन धरातल पर जब योजना के प्रगति का पड़ताल किया गया तब पता लगा की करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद नतीजा शून्य है ।
बस्ती जनपद की बात करें तो यहां पर 14 क्षेत्र पंचायत ,नगर पंचायत ,नगर पालिका के अलावा 1185 ग्राम पंचायतों में कूड़ेदान के नाम पर जमकर धन खर्च किया गया है लेकिन जब योजना के नाम पर खर्च किये गए धन की समीक्षा की गई तब पता चला कि कूड़ेदान स्थापित करने का मकसद केवल बंदरबांट है ।

नगर पंचायतों में जहां कूड़ेदान पर करोड़ो रुपया खर्च किया गया वहीं ग्राम पंचायतों में 60 से 80 हजार रुपया कूड़ेदान के नाम पर खर्च किया लेकिज इस कूड़ेदान को न तो गांव वालों ने कभी इस्तेमाल किया और न ही सही तरीके से इसका क्रियान्वयन हो पाया । नगर पंचायत और ग्राम पंचायत के बाद यदि क्षेत्र पंचायत की बात करें तो यहां पर भी स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर जमकर धन खर्च किया गया लेकिन यहां पर भी नतीजा शून्य निकला ।

क्षेत्र पंचायत सल्टौआ के निधि से करीब 18 लाख रुपया कूड़ेदान के नाम पर खर्च करके गांव में कूड़ेदान को स्थापित किया गया लेकिन जनता ने आज तक इसका मतलब नही समझा ।  उस अधिकारी ने भी इस योजना की समीक्षा करने की जरूरत नही  समझा जिसके कलम से करोड़ो करोड़ रूपये का बजट पास हो गया ।

बारीकी से जब इस विषय में जानकारी हासिल किया गया तब पता चला कि कूड़ेदान को स्थापित करने के नाम पर मोटी कमाई होता है जिसके चलते स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर नगर पंचायत , ग्राम पंचायत , क्षेत्र पंचायत एवं नगर पालिका में इस योजना के नाम पर जमकर पैसा खर्च किया गया है । इससे जुड़े दुकानदारों से जब जानकारी प्राप्त की गई तब पता चला कि 1000 से लेकर 2000 रुपये में मिलने वाले कूड़ेदान को नगर पंचायत एवं क्षेत्र पंचायत में 8000 से लेकर 9000 में खरीददारी किया गया है ।  इससे यह स्पष्ट होता है कि महज सरकारी धन के बंदरबांट के उद्देश्य से जगह जगह पर कूड़ेदान को स्थापित करने का काम किया गया है , जबकि 99 फ़ीसदी जगहों पर लगाए गए कूड़ेदान का मतलब आज तक कोई समझ ही नहीं पाया है ।

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