सौरभ वीपी वर्मा
इस मामले में गांव के बुजुर्ग वीरभद्र ने बताया कि उक्त जमीन को गांव के धर्मदत्त ने भदेशर को बैनामा कर दिया जबकि उसी जमीन को धर्मदत्त के पिता मुनेशर ने स्कूल संचालित करने के लिए भारत में ब्रिटिश गवर्नमेंट को अपनी जमीन स्वेच्छा से दान कर दिया था जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत में जमीन पर विद्यालय के भवन का निर्माण पहली बार किया गया था । गांव वालों ने बताया कि इस जमीन पर वर्तमान समय में संचालित स्कूल का तीसरा भवन है इसके पहले किसी प्रकार का कोई विवाद नही था।
इस मामले में गहराई से जानकारी प्राप्त करने पर पता चला कि उक्त जमीन के सहखातेदार दीनानाथ पुत्र लालबहादुर व भदेशर पुत्र राम आसरे ने हिस्से को लेकर के आपस में मुकदमा लड़े परन्तु वादी और प्रतिवादी किसी ने भी बदनीयती के नियत से न्यायालय में विद्यालय व विद्यालय की जमीन कोनही दर्शाया और दस्तावेजों में विद्यालय की जमीन को अपना बता दिया ।
अब वर्तमान समय में जब स्कूल द्वारा अपनी जमीन पर बाउंड्रीवाल का निर्माण शुरू कराने का काम किया गया तब राजकुमार चौधरी द्वारा अपनी जमीन का हवाला देकर निर्माण कार्य को रोकवा दिया गया जिससे विद्यालय का बाउन्ड्रीवाल अधर में लटक गया ।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रदीप कुमार मिश्रा ने बताया कि ब्रिटिश हुकूमत से यहां पर विद्यालय संचालित हो रहा है ,और चकबंदी के फार्म संख्या 41/45 के दस्तावेज में स्कूल भवन दर्ज है । इस मामले में उपजिलाधिकारी भानपुर गिरीश कुमार झा से बात हुई तो उन्होंने कहा कि विद्यालय के बाउन्ड्रीवाल से जुडी शिकायत मिलने पर दस्तावेजों की जांच कर मामले का निस्तारण किया जाएगा ।