दरअसल, अपनी मांगों को लेकर बिजली विभाग कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से कई इलाकों में ब्लैकआउट हो गया है. हड़ताल के चलते जहां बिजली व्यवस्था चरमरा गई है, वहीं कई इलाकों में पेयजल का भी संकट खड़ा हो गया है. हाईकोर्ट के अधिवक्ता विभु राय ने बिजली विभाग कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर अदालत में एक प्रार्थना पत्र देकर इस मामले में सुनवाई की मांग की थी. इस मामले में कल दोपहर 2 बजे सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बिजली विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल को सही नहीं माना है. प्रार्थना पत्र में कहा गया था कि विद्युत कर्मचारियों की हड़ताल हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. प्रार्थना पत्र में विद्युत कर्मचारियों की हड़ताल से उपभोक्ताओं को हो रही परेशानियों का भी जिक्र किया गया है.
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिजली विभाग कर्मचारियों की प्रदेशव्यापी हड़ताल को लेकर बेहद सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने पहले से लंबित याचिका पर सुनवाई करते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने सीजेएम लखनऊ के जरिए जमानती वारंट तामील कराने का भी आदेश दिया है. कोर्ट ने 20 मार्च को सुबह 10 बजे कर्मचारी संघ के पदाधिकारी शैलेंद्र दुबे व अन्य को तलब किया है
दिसंबर 2022 में बिजली विभाग कर्मियों की हड़ताल का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया था. इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 6 दिसंबर 2022 के आदेश में कहा था कि विद्युत आपूर्ति बाधित नहीं होनी चाहिए. कोर्ट ने विद्युत आपूर्ति बाधित होने पर सख्त एक्शन लेने का भी निर्देश दिया था. अधिवक्ता विभु राय के प्रार्थना पत्र पर जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस विनोद दिवाकर की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. बिजली विभाग के हड़ताल को लेकर राज्य सरकार ने भी कड़ा रुख अपनाया है. ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने भी हड़ताल पर एस्मा लगाने की बात कही है.