खबर वह नही है जो सरकार दिखाना चाहती है , खबर वह है जो सरकार छिपाना चाहती है।
सौरभ वीपी वर्मा
भारत में पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद भले ही बहुत दिनों तक वित्तीय संकट का सामना भारत के गांवों में रहा है लेकिन वर्ष 1995 के बाद से यदि भारत के गांवों की स्थिति पर नजर डाला जाए तब पता चलेगा कि इन वर्षों में राज्य और केंद्र की सरकारों ने मिलकर सड़क , चकरोड ,खड़ंजा , नाली ,नाला , आवास ,शौचालय , सामुदायिक भवन , सामुदायिक शौचालय , जल संरक्षण , वृक्षारोपण , स्ट्रीट लाइट ,सोलर लाइट , बोरिंग निर्माण , हैंडपंप, खेत समतलीकरण , कृषि , भूमि सुधार ,स्वच्छता अभियान आदि क्षेत्रों में बडे पैमाने पर काम किया गया है । लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी आज भारत के गांव और गांव के लोग अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
यह बात समझ से बाहर है कि आखिर जिस योजना पर काम किया गया आखिर ऐसी कौन सी विसंगति रह गई है कि कोई भी योजन अपने उद्देश्य की पूर्ति नही कर पा रहा है।
ग्राउंड रिपोर्ट में दिखाएंगे गांव के लोगों की वास्तविक दुनिया एवं शासन-प्रशासन के दावे की हकीकत। देखते और पढ़ते रहें तहकीकात समाचार Tahkikat samachar