बता दें कि कृत्रिम बारिश की तकनीक चीन ने पहले ही विकसित कर ली है। अपनी तकनीक को चीन ने भारत को देने से इनकार कर दिया था। उसके बाद से IIT कानपुर के वैज्ञानिकों ने लगातार इस तकनीक की खोज में लगे रहे। वहीं सरकार ने इस तकनीक की अनुमति भी दी। लगभग 6 सालों में इस पर भारत के वैज्ञानिकों को सफलता मिल गई। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस तकनीक से पर्यावरण पर कोई विरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। दावा किया जा रहा है कि यूपी के सूखाग्रस्त इलाकों में इस तकनीक का इस्तेमाल करके कृत्रिम बारिश की जाएगी, जिसके लिए पहले कृत्रिम बादल तैयार किये जाएंगे। ऐसा करने से यूपी के बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में बड़ी राहत मिल सकती है।
आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने काफी लम्बे प्रयास के बाद बड़ी सफलता हासिल की है। दरअसल, क्लाउड सीडिंग के जरिए बारिश कराने का IIT कानपुर ने सफल परीक्षण किया है। अब इस सफल परीक्षण से उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में तकनीक से बारिश कराई जा सकती है। परीक्षण नागर विमानन निदेशालय (DGCA ) मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि IIT कानपुर 2017 से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था, लेकिन कई वर्षों से परमिशन न मिलने के कारण मामला अटका था । उन्होंने कहा कि सारी तैयारियों के बाद बीते दिनों DGCA नेटेस्ट फ्लाइट की अनुमति दे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने कई साल पहले क्लाउड सीडिंग के परीक्षण की अनुमति दे दी थी। मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि सेना के एयरक्राफ्ट ने 5 हजार फुट पर केमिकल पाउडर फायर किया था। उसके बाद क्षेत्रों में बारिश हुई।