वैसे शेक्यपियर ने कहा था, What is there in the name, नाम में क्या रखा है. भारत बोलो, इंडिया बोलो या हिन्दुस्तान बोलो, भावना तो देश के प्रति एक ही है.
वैसे संविधान के अनुच्छेद 1 में साफ लिखा है - INDIA, That is Bharat.. shall be union of states यानी इंडिया, जो कि भारत है, वो राज्यों का संघ होगा. पढ़ने में लगता है कि इंडिया पर ज्यादा जोर दिया गया है. और भारत को उसका पर्यायवाची या समानार्थी बताया गया है.
संविधान सभा में ये बहस 18 सितंबर 1949 को हुई थी. इसी दिन यानी 18 सितंबर को ही संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है.
संविधान सभा में देश के नाम को लेकर हुई थी लंबी चर्चा
सेन्ट्रल प्रोविन्स के नुमाइंदे एचवी कामथ ने बहस की शुरुआत की थी और अपने तर्कों में कहा था कि अंबेडकर जी ने ड्राफ्ट में दो नाम सुझाए गए हैं- इंडिया और भारत. कामथ ने कहा कि वो इस अनुच्छेद 1 में संशोधन चाहते हैं. हमें प्रमुख नाम हिंद रखना चाहिए और जब अंग्रेजी में देश का नाम बोलना हो तो हम तभी इंडिया बोलें. कामथ ने अपने तर्कों में ये भी कहा कि हिन्दुस्तान, हिंद, भारतभूमि या भारतवर्ष जैसे नाम भी देशवासियों ने सुझाये हैं.